वैदिक काल में मुख्य रूप से धार्मिक ग्रंथ को लाल रंग के कपड़े में रखा जाता था। जब किसी भी ग्रंथ को लाल कपड़े में लपेटकर रखा जाता है, तो यह उस ग्रंथ की पवित्रता और सुरक्षा का प्रतीक होता है।