महर्षि विश्रवा ने कुबेरदेव को रहने के लिए सोने की लंका प्रदान की थी और धन कुबेर की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उनको उत्तर दिशा का स्वामी और धनाध्यक्ष बना दिया। इसके साथ ही ब्रह्माजी ने कुबेरदेव को मन की गति से चलने वाला पुष्पक विमान भी दिया।