नारदपुराण के अनुसार, बुद्धि के स्वामी गणेश जी और मन के स्वामी चंद्रमा के संयोग से इस व्रत को करने से कार्यों में सफलता, मानसिक शांति और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।