कुंडली का पंचम भाव त्रिकोण स्थान है। कुंडली के इस भाव से विद्या, बुद्धि, संतान सुख, ज्ञान, प्रेम, रोमांस और खुशियों का विचार किया जाता है। यह भाव के कारक ग्रह देवगुरु बृहस्पति होते हैं।