हर साल दिवाली के मौके पर अर्धरात्रि में इस मंदिर में मां काली की प्रतिमा स्थापित कर तांत्रिक विधि से पूजा-अर्चना की जाती है। प्राचीन गिद्धौर राजवंश के तत्कालीन राजा महाराजा चंद्रचूड़ सिंह ने इस जगह पर पूजा अर्चना प्रारंभ की थी।