दक्षिण दिशा को ऊर्जा क्षेत्र शयन, आराम एवं शांति का स्थान कहा गया है। आम जीवन में आराम का प्राकृतिक माध्यम नींद ही है। परन्तु ध्यान में आराम का पहला चरण है- शारीरिक विश्राम। जब अलग-अलग तल (शारीरिक या अन्नगय, प्राणमय और मनोमय) अपनी शांत अवस्था में आते हैं, तो उनमें एक विशेष प्रकार की चमक पैदा होती है। वह चमक पहचान बनाने में सहायक होती है। जिन लोगों को आप पहचानते हैं या जिन्होंने विश्व भर में अपना नाम कमाया है, अगर आप उनके साथ बैठे तो देखेंगे कि उनमें एक अपनी ही किस्म का ठहराव है। आन्तरिक शांति होने से प्राकृतिक रूप से यश की प्राप्ति होती है। व्यक्ति प्रसिद्ध होता है।
ज्योतिष की दृष्टि में भी सूर्य रोज दक्षिण दिशा में अपनी शीर्षस्थ स्थान पर होते हैं। यह शिखर है आपके किए हुए कार्यों का। आपके व्यक्तित्व का जो प्रकाश विश्व भर में फैलता है, उसको भी यही दिशा नियंत्रित करती है। अगर किसी व्यक्ति को अपने यश, अपने नाम को फैलाना है और उसका यह दिशा क्षेत्र ठीक नहीं है तो उसके लिए अपने नाम को बड़ा करना, अपनी पहचान को बनाना और शांतिपूर्वक ढंग से अपनी पहचान को आगे लेकर जाना बहुत कठिन होगा।
इस दिशा क्षेत्र में बेडरूम को बनाया जा सकता है। योग आसन करने एवं ध्यान (मेडीटेशन) के लिए भी इस दिशा का प्रयोग किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को नींद न आने की समस्या हो। मन को बिना वजह अशांति महसूस होती है। तो इसका अर्थ है, इस दिशा क्षेत्र का असंतुलित होना। अगर इस क्षेत्र में नीले रंग के पर्दे लगे हुए हैं तो विरोधी तत्व होने के कारण दिशा को असंतुलित कर रहे हैं। इन पर्दों का यहां होना यश प्राप्ति के प्रयासों को निष्फल बना रहा है।
दक्षिण दिशा में शौचालय के होने से इस घर में रहने वाले लोग प्रसिद्धि के लिए लालायित रहते हैं। वे हमेशा तनाव में रहते हैं और रिलैक्स नहीं रह पाते। बिजनेस हाऊजेस में यदि इस दिशा में शौचालय बना हो तो यह उनकी ब्रांड गुडविल को प्रतिकूल तौर पर प्रभावित करता है।
रीना बसंल
वास्तु विशेषज्ञ, न्यूमरोलॉजिट।