ये मानव जाति की उत्सुकता ही होती है कि वह अपना और दूसरों का स्वभाव और भविष्य जानने के लिए हमेशा तत्पर रहता है, लेकिन भविष्य जानना या किसी व्यक्ति के बारे में आसानी से जान लेना इतना सरल कार्य बिल्कुल नहीं है। मानव जीवन के गूढ़ रहस्यों की जानकारी के लिए कुछ विशेष शारीरिक संरचनाओं, शास्रों, जन्म पत्रिकाओं आदि को एक माध्यम बनाया गया है। जिसके ज्ञान और शिक्षा से हासिल किया जा सकता है। लेकिन सभी ऐसा नहीं कर सकते इसलिए ज्योंतिषों के माध्यम से आप अपना भविष्य और स्वभाव दोनों जान सकते हैं। आज हम आपको इस पोस्ट के जरिए ज्योतिषों के द्वारा ही बताए गए तरीके जिसमें माथे की लकीरें आपके भविष्य के आइने का काम करती हैं इस पर पूरी जानकारी देने जा रहे हैं।
माथे की सबसे पहली रेखा होती है शनि रेखा
शनि रेखा मस्तक की सबसे ऊपरी रेखा होती है। शनि रेखा की लम्बाई बहुत कम होती है। शनि रेखा यदि साफ व स्वच्छंद माथे पर स्पष्ट नजर आए तो ऐसे व्यक्ति जीवन गंभीर प्रवृत्ति वाले इंसान होते हैं। ये ओसियनोग्राफिक साइंस के मुताबिक शनि ग्रह से प्रभावित जरूर रहते हैं। जिन व्यक्तियों के माथे पर ये रेखा एक अलग आकर्षण के साथ झलकती है, वो तंत्र-मंत्र की विद्या के ज्ञाता, जादूगर आदि हो सकते हैं।
माथे की दूसरी रेखा होती है गुरू रेखा
यह मस्तक में दूसरे नंबर की रेखा होती है, लेकिन शनि की तुलना में लम्बाई में बड़ी होती है। जिन जातकों के मस्तक के ऊपर की ये दूसरे नंबर की रेखा बेहद स्पष्ट दिखाई दे, ऐसे जातक शिक्षा के क्षेत्र में अपना नाम कमाते हैं। सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए ऐसे जातकों को लम्बे प्रयास नही करने पड़ते हैं। ये दृढ़संकल्पी व आत्मविश्वासी होते हैं। ऐसे व्यक्ति आत्मविश्वास को सफलता की कुंजी मानते हैं।
माथे की तीसरी रेखा होती है मंगल रेखा
ये रेखा क्रमशः शनि और गूरु रेखा के बाद की तीसरी रेखा होती है। इस रेखा का साफ नजर आने से व्यक्ति वीरता का जीता जागता प्रतिबिम्ब होता है। मंगल रेखा का उभर कर नजर आना इस बात का संकेत है कि व्यक्ति अपने जीवन को पूर्णतः प्रशासनिक सेवाओं के अधीन रखता है। दृढ़निश्चयी, धैर्य धारण करने वाला, व रचनात्मकता से परिपूर्ण होता है। मंगल रेखा के स्पष्ट नजर आने का ये शुभाषीश ये होता है कि ऐसा व्यक्ति विजयपथ पर चलकर जीत हासिल करने वालों में शुमार होता है।
माथे की चौथी रेखा होती है बुध रेखा
यह रेखा मस्तक के बिल्कुल मध्य में होती है। अन्य सभी रेखाओं की तुलना में यह सबसे लम्बी रेखा होती है। कान के दोनों किनारों तक ये रेखा नजर आना और भी शुभ गुणों को दायक होता है। यदि इस रेखा के द्वारा शुभ गुण परिलक्षित हों ऐसे व्यक्ति तीव्र बुद्धी वाले होते हैं। सत्य और असत्य की पहचान करने के आदी व कला के प्रति समर्पण का भाव रखने वाले होते हैं।
माथे की पांचवी रेखा होती है शुक्र रेखा
ये रेखा बुध के निचले भाग पर स्थित होती है, जहां पर इसकी लम्बाई अधिक न होते हुए सीमित होती है। इस रेखा का माथे पर स्पष्ट नजर आना यह संकेत देता है कि ऐसे व्यक्ति पर्यटन के लोभी, आशावान, स्फुर्तिमय, व उत्साह से ओत-प्रोत होते हैँ।
माथे की छठवीं रेखा होती है सूर्य रेखा
दाहिनी आँख के ठीक ऊपर भौंहों तक सीमित रेखा सूर्य रेखा कहलाती है। यह लम्बाई में छोटी तो होती ही है लेकिन इसके स्पष्ट नजर आने पर व्यक्ति अपने द्वारा किए गए कार्यों से सभी को चकित कर देने वाले और विलक्षण प्रतिभा वाले होते हैं। ये अनुशासनहीनता से परहेज करते हुए जीवन व्यतीत करना पसंद करते हैँ।
माथे की सातवीं रेखा होती है चन्द्र रेखा
चन्द्र रेखा दांई आँख के ऊपर होती है, सूर्य रेखा की भांति सीमित होती है। जिन व्यक्तियों के मस्तक पर ये रेखा साफ नजर आए वो सरल स्वभाव के प्रेमी, एकांतवास में रहने, गीत-संगीत गायन वादन इन्हें अतिप्रिय होता है। ये व्यक्ति कल्पनाओं के संसार को जीने की चाह रखते हैं। बिना किसी शोर शराबे के सादा जीवन जीना इनका स्वभाव होता है।