वास्तु शास्त्र में बाथरूम बनाने की सबसे अच्छी दिशा पूर्व दिशा बताई गई है। वहीं पूर्व दिशा के बाद उत्तर दिशा में भी बाथरूम बनाया जा सकता है। वहीं शौचालय बनाने के लिए पश्चिम और दक्षिण दिशा उपयुक्त मानी गई है। लेकिन अगर आप किसी कारणवश इस दिशा में बाथरूम नहीं बना पाए तो आप उत्तर और पूर्व दिशा में मुंह करके स्नान कर सकते हैं। फिर चाहे आपके बाथरूम की दिशा कोई भी हो फर्क नहीं पड़ेगा।
किस दिशा में खड़े होकर करें स्नान
बता दें कि पूर्व दिशा की ओर मुंह करके स्नान करने से शरीर की गंदगी दूर होने के साथ ही नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है। क्योंकि सूर्य देव की दिशा पूर्व है। सूर्यदेव इसी दिशा से उगते हैं। वहीं सूर्यदेव तेज और प्रभावशाली ऊर्जा के स्वामी होते हैं। ऐसे में सुबह के समय पूर्व दिशा में सबसे अधिक सकारात्मक ऊर्जा होती है। वहीं जब आप इस दिशा की ओर मुंख करके स्नान करते हैं तो शरीर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश से आपकी किस्मत भी चमकने लगती है।
बाथरूम से संबंधित अहम बातें
वास्तु शास्त्र के मुताबिक बाथरूम और टॉयलेट को कभी एक साथ अटैच करके नहीं बनवाना चाहिए।
कमरे के अंदर कभी बाथरूम को न बनवाएं
अगर बाथरूम में लकड़ी का दरवाजा है तो उसे हमेशा बंद रखें। ऐसे में घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है।
बाथरूम के नल से पानी नहीं टपकना चाहिए। इससे आर्थिक तंगी का सामना भी नहीं करना पड़ता है।
बाथरूम में नीले रंग की बाल्टी रखनी चाहिए। वास्तु के हिसाब से नीला रंग शुभ भाग्य का वाहक होता है।