भारत और चीन ऐसे पड़ोसी मुल्क हैं, जिसकी संस्कृति और सभ्यताएं बेजोड़ हैं। चीन का आम जनजीवन भारत के मुकाबले बेहद जुदा कहा जा सकता है। वो अलग बात है कि चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार भारत के सम्राट अशोक की देन है। लेकिन एक और चीज है, जिस पर प्रश्न उठता है कि क्या चीनी फेंगशुई और भारत की वास्तु विद्या का कोई मिलाप है? या कितनी भिन्नता फेंगशुई और वास्तु शास्त्र में देखने को मिलती है। इस विषय पर विस्तृत शोध की कोई आवश्यकता मालूम नहीं होती क्योंकि उसके कई कारण हैं, जिसकी चर्चा आज स्पष्ट शब्दों में हम अपने लेख में करने जा रहे हैं।
क्या है चीनी फेंगशुई और भारत का वास्तुशास्त्र
प्रकृति में कई भौतिक शक्तियां मौजूद हैं, जिसका अनुपालन करते हुए आम जीवन को सुचारू रूप से संचालित किया जा सकता है। यह सच है कि धर्म, राष्ट्र, जाति, संप्रदाय, लिंगभेद, कृत्रिम निर्मित है,इसका प्रकृति से कोई वास्ता नहीं है। भारतीय वास्तुशास्त्र में ग्रहों की चाल के अनुसार प्रकृति के कुछ नियमों के बंधनों का पालन करते हुए जीवन को सहज व सरल बनाया जाता है।
चीन के फेंगशुई का मतलब समझें तो ये अलग-अलग शब्दार्थों का मेल करते हुए निर्मित शब्द है, जिसमें फेंग का अर्थ- वायु और सुई का अर्थ- जल है। हमारे पुराणों और शास्त्रों में पंचतत्वों का उल्लेख मिलता है। जिसमें से दो तत्व वायु और जल हैं। यानी फेंगशुई में भी वायु और जल के आधार पर प्रकृति के क्रियान्वयन का बोध अपनाते हैं। हमें यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि प्रकृति के यह दो तत्व वायु और जल ऊर्जा के पर्याय हैं। जिनके समन्वय से मानव जीवन का सुखद सृजन होता है। इन दोनों तत्वों के बगैर जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती है।
भारत और चीन की इन दोनों विद्याओं में भौगोलिक दशाओं एवं दिशाओं के कारण कुछ भिन्नता देखने को मिलती है। भारत की भौगोलिक स्थिति चीन के उलट है। जिससे दिशा भेद का अन्तर अपनाते हुए दक्षिण दिशा को शुभ और अशुभ के जाल में रखा गया है। चीनी विद्वान फेंगशुई में दक्षिण दिशा को शुभ मानते हैं जबकि भारत का वास्तुशास्त्र अशुभ बतलाता है।
भारत में घर, मकान, दुकान, बनाते समय खिड़कियां, दरवाजे, शयनकक्ष, बैठक आदि बनाते समय वास्तु का सहारा लिया जाता है। जिसके मुताबिक उत्तर दिशा को शुभ मानते हैं। जबकि चीन में उत्तर दिशा को अशुभ मानते हुए फेंगशुई के अनुसार पूर्व व दक्षिण दिशा में दरवाजे और खिड़कियां लगाने का चलन है।
फेंगशुई और वास्तुशास्त्र के बीच जो भिन्नता पाई जाती है, उसका मुख्य कारण भारत, चीन की भौगोलिक दशा, जलवायु का अन्तर संस्कृति एवं सभ्यता का परिवर्तन, खानपान, रहन-सहन है।