चंद्रमा जब पहली बार अमावस्या के दिन या अमावस्या के बाद दर्शन देता है, तो उसे चंद्र दर्शन कहा जाता है। बता दें कि चंद्र दर्शन देश के एक बड़े हिस्से में भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक इस दिन का काफी महत्व होता है। इस दिन लोग चंद्रदेव की पूरे भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करते हैं। इसके साथ ही इस दिन व्रत भी किया जाता है। हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता का स्वरूप माना जाता है और इसके दर्शन करना काफी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि चंद्रमा के दर्शन करना सौभाग्यशाली और समृद्धिदायक माना जाता है।
चंद्र दर्शन
अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की शुरूआत होती है। शुक्ल पक्ष में चंद्रमा के दर्शन करना काफी शुभ माना जाता है। इस बार यानी की मई में 20 मई को चंद्र दर्शन मनाया जा रहा है। शनिवार यानी की 20 मई को शाम 06:15 मिनट से 07:28 तक रहेगा। इस दौरान 1 घंटा 12 मिनट तक चंद्र दर्शन का समय होगा।
चंद्र दर्शन का महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं में चंद्र देव को सबसे अधिक सम्मानित देवताओं में से एक माना जाता है। वहीं नवग्रहों में भी चंद्रमा को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। मानव जीवन पर और पृथ्वी पर चंद्रमा का प्रभाव है। बता दें कि चंद्रमा का संबंध अच्छे इरादों, पवित्रता और शांति से माना जाता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्रदेव की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के मन से नकारात्मक और बुरे विचार दूर होते हैं। वहीं उपवास अनुष्ठान के बाद पवित्र और शक्तिशाली चंद्र मंत्रों के जाप से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मका आती है।
ऐसे करें पूजा
चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा करने का विधान है। इस दिन सबसे पहले स्नान आदि कर साफ कपड़े धारण करें। इसके बाद गंगाजल युक्त जल या गाय के दूध से चंद्रदेव को अर्घ्य दें। फिर दीपक जलाकर चंद्रदेव की आरती करें। इस दौरान सफेद मिठाई या खीर आदि का भोग लगाएं। इस तरह से पूजा किए जाने से व्यक्ति पर चंद्रदेव की कृपा बरसती है।