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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की करें पूजा-अर्चना, जीवन में आएगी सुख-समृद्धि

By Astro panchang | Mar 26, 2023

नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को समर्पित होता है। रविवार, 26 अप्रैल को मां स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है। भक्तों की समस्त प्रकार की मनोकामनाएं स्कंदमाता की आराधना करने से पूर्ण होती हैं। स्ंकदमाता की आराधना करना संतान प्राप्ति के लिए लाभकारी माना गया है। इनकी पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है। माता को लाल रंग अतिप्रिय है। इसलिए स्कंदमाता की स्तुति के दौरान लाल रंग के फूल अर्पित करने चाहिए।

मां स्कंदमाता का स्वरूप
मां स्कंदमाता गोद में भगवान स्कंद कुमार को लिए हुए हैं। स्कंद मातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। वह कमल के पुष्प पर विराजमान रहती हैं। मां दुर्गा के इस स्वरूप को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है।

ऐसे करें पूजा
सबसे पहले सुबह स्नान आदि कर मां स्कंदमाता को नमन करें
फिर मां को कुमकुम,अक्षत,पुष्प,फल आदि अर्पित करें। 
माता को चंदन का टीका कर घी का दीपक जलाएं।
स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए। 
इसके बाद मंत्र और स्त्रोत्र कर उनकी आराधना करें।
स्कंदमाता की कथा पढ़कर आरती गाएं।
इसके बाद फिर प्रसाद बांटे।

महत्व
सिंह के अलावा शुभ्र वर्ण वाली स्कंदमाता कमल के आसान पर भी विराजमान रहती हैं। इसलिए मां को पद्मासना भी कहा जाता है। पूरे भक्तिभाव से पूजा करने पर मां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। माता की पूजा के दौरान लाल रंग के कपड़े में सुहाग का सामना, पीले चावल, लाल फूल और नारियल बांधकर माता की गोद भरें। 

कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक तारकासुर नामक राक्षस की मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द, जिन्हें कार्तिकेय भी कहते हैं। उन्हें युद्ध के लिए तैयार करने के लिए स्कन्द माता का रूप लिया। स्कंदमाता से प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान स्कन्द ने तारकासुर का वध किया।

स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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