असम के जोराहट जिले के ढेकियाखोवा गांव में एक ऐसा पूजाघर मौजूद है। जहां पर 1461 दीपक लगातार दिन-रात जल रहे हैं। बताया जाता है कि इस पूजाघर को संत-सुधारक माधवदेव द्वारा स्थापित किया गया था। ढेखियाखोवा बोर्नमघर, बता दें कि बोर्नमघर का अर्थ बड़ा घर होता है। इस पूजा घर का नाम इसके विशाल परिसर के कारण रखा गया है। 13 बीघा में इस पूजाघर को बनाया गया है। नामघर के बारे में बताया जाता है कि एक बार माधवदेव अपनी लंबी यात्रा के दौरान जोरहाट के इस छोटे से गांव में रुके थे।
अतिथि सत्कार से प्रभावित थे माधवदेव
बताया जाता है कि जोरहाट में माधवदेव ने ठहरने के दौरान एक बूढ़ी औरत की झोपड़ी में शरण ली थी। यहां पर बूढ़ी महिला ने माधवदेव को खाने में चावल और फिडेलहेड फर्न देने के साथ रुकने के लिए जगह दी थी। बूढ़ी महिला के मन में अपने प्रति इतना सम्मान देखकर माधवदेव काफी प्रभावित हुए। इसके बाद ही उन्होंने इस स्थान को नामघर बनाए जाने का फैसला किया। उस जगह को डेहकियाखोवा के नाम से जाना जाने लगा।
आज तक नहीं बुझी दीपक की जोत
माधवदेव ने नामघर में 1461 बूढ़ी महिला को यह दिए जलाने की जिम्मेदारी दी थी। नामघर की प्रबंध समिति के बताए अनुसार, नामघर में 1461 से मिट्टी का दीपक लगातार जल रहे हैं। प्रबंध समिति द्वारा इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि दीपक की लौ कभी बुझने नहीं पाए। ऐसे में आपको भी इस अद्भुत जगह पर एक बार जरूर आना चाहिए।