आज के दिन यानी की 4 मई को भगवान नरसिंह का प्राकट्योत्सव मनाया जा रहा है। ग्रंथों के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान विष्णु ने नरसिंह रुप में चौथा अवतार लिया था। इस तिथि को व्रत करने के साथ ही भगवान नरसिंह की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पद्म पुराण के मुताबिक इस तिथि को भगवान श्रीहरि के रौद्र रूप की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप और परेशानियां दूर होती हैं।
दैत्यों का नाश और धर्म की रक्षा करने वाले भगवान नरसिंह के अवतार की पूजा पूरे देश में की जाती है। हालांकि दक्षिण भारत में इन्हें पूजने वालों की तादाद सबसे ज्यादा है। वहीं देश के तमाम हिस्सों में भगवान नृसिंह के कई मंदिर भी हैं। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर व्रत रखने के साथ ही अपनी श्रद्धा के अनुरूप अन्न, जल, तिल, कपड़े आदि का गरीब या जरूरतमंद को दान करना चाहिए। इस दिन व्रत करने से दुश्मनों पर जीत मिलने के साथ ही व्यक्ति की मनोकामना भी पूरी होती है।
शुभ मुहूर्त
वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि की शुरूआत- 3 मई 2023, रात 11:49 मिनट
वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि की समाप्ति- 4 मई 2023, रात 11:44 मिनट
पूजा मुहूर्त- सुबह 10:58 से 01:38 मिनट तक
संध्याकाल मुहूर्त- शाम 04:16 से 06:58 मिनट तक (गोधूलि बेला में ही भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध किया था)
रवि योग- सुबह 05:38 से 09:35 मिनट तक
व्रत पारण- 5 मई को सुबह 05:38 मिनट के बाद
स्नान-दान
इस तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। हालांकि इस इदिन तीर्थ स्थान का महत्व है। लेकिन घर पर ही गंगाजल डालकर नहाने से उसे भी तीर्थस्नान माना जाता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नदी, तालाब या घर पर ही वैदिक मंत्रों के साथ मिट्टी, गोबर, आंवले का फल और तिल लेकर और अपने सभी पापों की शांति के लिए विधिपूर्वक स्नान करें। इसके बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव कर घर को शुद्ध करें। फिर भगवन विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा करें।
पूजा विधि
स्नान आदि के बाद व्रत और श्रद्धानुसार दान का संकल्प लें।
फिर पूजा स्थल पर चावल का कलश रख भगवान नरसिंह की फोटो या मूर्ति स्थापित करें।
पंचामृत, दूध और गंगाजल से भगवान नरसिंह का अभिषेक करें और उन्हें पीला कपड़ा चढ़ाएं।
फिर भगवान नरसिंह को चंदन, अक्षत, रोली, फूल और तुलसी दल आदि अर्पित करें।
व्रत में गुस्सा न करें और सोएं नहीं। इसके साथ ही एक समय सात्विक भोजन करें।
सूर्यास्त के बाद फिर से नहाकर भगवान नरसिंह की पूजा करें।
फिर शाम को भोग लगाकर आरती करें।