लड्डू गोपाल भगवान श्रीकृष्ण का प्यारा स्वरूप माना जाता है। लड्डू गोपाल के रूप में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। बाल गोपाल नटखट और मनमोहक होते हैं। उनको लड्डू और अन्य मिठाई आदि चढ़ाई जाती है। लड्डू गोपाल की पूजा में भक्ति, प्रेम और श्रद्धा का भाव जरूर शामिल होता है। लड्डू गोपाल की तस्वीरों और मूर्तियों में अक्सर उनको पीताम्बर पहने हुए और माखन-मिश्री खाते हुए दिखाया जाता है। हालांकि इनकी पूजा में कुछ नियमों का विशेष रूप से पालन किया जाता है। जिससे कि प्रभु को किसी चीज की परेशानी न हो।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपनी कोई इच्छा पूरी करना चाहता है, तो उसको बाल गोपाल की पूजा के दौरान अपनी इच्छा उनके कान में बोलनी चाहिए। इससे जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लड्डू गोपाल की प्रतिमा रखने से पहले अक्षत रखा जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण...
अक्षत का महत्व
अक्षत को आम भाषा में चावल कहा जाता है। यह हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है। अक्षत लगभग हर अनुष्ठान का अभिन्न हिस्सा माना जाता है। साथ ही इसको समृद्धि और बहुतायत का भी प्रतीक माना जाता है। वहीं चावल हमेशा से खाद्य सुरक्षा का प्रतीक होता है। इसलिए अक्षत को देवताओं को अर्पित कर समृद्धि की कामना की जाती है। इसको शुभता और मंगल का भी प्रतीक माना जाता है। पूजा में अक्षत चढ़ाकर शुभ फल की कामना की जाती है और इसे लंबी आयु का भी प्रतीक माना जाता है। इसलिए तिलक करने के दौरान अक्षत के दाने भी लगाए जाते हैं। अक्षत को देवताओं का भी प्रिय भोग माना जाता है। इसलिए हर पूजा-पाठ के कार्यक्रम में अक्षत जरूर चढ़ाया जाता है।
वहीं लड्डू गोपाल को बाल गोपाल भी कहते हैं। लड्डू गोपाल वासुदेव कृष्ण के बाल स्वरूप का प्रतीक हैं। घरों में लड्डू गोपाल की पूजा बड़े श्रद्धा भाव से की जाती है। मान्यता है कि लड्डू गोपाल की प्रतिमा रखने से पहले उस स्थान पर अक्षत रखकर उसे पवित्र और मंगल किया जाता है। मान्यता यह भी है कि लड्डू गोपाल की प्रतिमा पर नियमित रूप से अक्षत चढ़ाने से व्यक्ति को सभी दोषों से छुटकारा मिल जाता है।
अक्षत को स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और खुशाहाली का प्रतीक माना जाता है। वहीं भगवान की प्रतिमा रखने से पहले विशेष मंत्रों का भी उच्चारण किया जाता है। साथ ही अक्षत को सकारात्मक ऊर्जा का भी कारक माना जाता है।