जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि पूजा-पाठ में केले के पत्तों का अत्यंत महत्व है। विशेष रूप से केले के पत्तों का प्रयोग भारत के दक्षिण क्षेत्र में पूजा-पाठ के दौरान किया जाता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको पूजा में केले के पत्तों के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
बता दें कि केले को हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। केले के पत्ते का प्रयोग किसी भी पूजा, पाठ, हवन, पंगत और अनुष्ठान आदि के दौरान किया जाता है। पूजा-पाठ में न सिर्फ केले के पत्तों बल्कि तनों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
हिन्दू धर्म ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार, केले के पेड़ में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है। वहीं केले के पेड़ का संबंध देव गुरु बृहस्पति ग्रह से होता है। पूजा-अर्चना में केले के पत्तों का इस्तेमाल करने से भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
भगवान श्रीकृष्ण और माता लक्ष्मी की कृपा से पूजा-पाठ के काम में किसी तरह की बाधा नहीं आती है। साथ ही जातक को देवगुरु बृहस्पति का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि पूजा में केले के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है तो इससे कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति उच्च होती है। इसके शुभ परिणाम भी दिखने लगते हैं।
धर्म-शास्त्रों के अनुसार, यदि माता लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु को केले के पत्ते पर भोग लगाया जाए तो इससे घर में अन्न का भंडार भरा रहता है। इसके अलावा अगर केले के पत्ते पर केले का भोग लगाया जाता है तो इससे दांपत्य जीवन में आने वाली परेशानियों का अंत होता है। वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है।
सत्यनारायण की कथा में केले के पेड़ का मंडप बनाकर तैयार किया जाता है। क्योंकि इसे पूर्ण रूप से शुद्ध माना जाता है। केले के पेड़ के मंडप से ग्रहों का भी सत्यनारायण भगवान की कृपा से अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है।