हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन माह की द्वितीया तिथि को फुलैरा दूज के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण योग माना जाता है। इस दिन को विवाह बंधन के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण और राधा की पूजा करने का विधान है। इस बार फुलैरा दूज 15 मार्च (सोमवार) को मनाई जाएगी। इस दिन को होली के प्रारंभ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इस दिन को मांगलिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। उत्तर भारत और देश की कई जगहों पर इस दिन को उत्सव की तरह मनाया जाता है। आज के इस लेख में हम आपको फुलैरा दूज का शुभ मुहूर्त, महत्व और कथा बताने जा रहे हैं -
फुलैरा दूज शुभ मुहूर्त
फाल्गुन द्वितीया आरंभ- 14 मार्च 2021 को शाम 05 बजकर 06 मिनट से
फाल्गुन द्वितीया समाप्त- 15 मार्च 2021 को शाम 06 बजकर 49 मिनट पर
फुलैरा दूज का महत्व
हिंदू शास्त्रों में फुलैरा दूज का विशेष महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी मानते हैं। फुलैरा दूज के दिन मांगलिक कार्यों को करने के लिए शुभ मुहूर्त को जानने की जरूरत नहीं होती है। इस दिन किसी भी मुहूर्त में शादी संपन्न की जा सकती है। इस दिन शादी-विवाह, गृह प्रवेश, वहां की खरीददारी आदि करना बहुत ही शुभ माना जाता है। उत्तर भारत में भगवान कृष्ण और राधा का फूलों से श्रंगार करके पूजन किया जाता है।
राधा कृष्ण कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण कई दिनों से राधा से मिलने वृंदावन नहीं आ रहे थे। इस बात से राधा दुखी थीं। राधा को उदास देख उनकी सहेलियां भी कृष्ण से रूठ गई थीं। राधा के उदास रहने के कारण मथुरा के वन सूखने लगे और फूल मुरझा गए। यह देखकर कृष्ण इस बात का कारण समझ गए और वे राधा से मिलने वृंदावन पहुंच गए। श्रीकृष्ण के आने से राधा बहुत प्रसन्न हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई। कृष्ण ने राधा को छेड़ने के लिए एक फूल को तोड़कर उनपर फेंक दिया। राधा ने भी ऐसा ही किया। यह देख वहां मौजूद सभी ग्वाले और गोपिकाएं भी एक दूसरे पर फूल बरसाने लगे। तब से आज भी हर वर्ष मथुरा में फूलों की होली खेली जाती है।