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क्यों मनाया जाता है ओणम? जानें तिथि और परंपरा

By Astro panchang | Aug 18, 2021

ओणम, केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो दस दिनों तक चलता है। इस साल यह त्योहार 12 अगस्त से शुरू होकर 23 अगस्त तक मनाया जाएगा। ओणम का मुख्य पर्व 21 अगस्त को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की त्रयोदशी तिथि को ओणम का पर्व मनाया जाता है। वहीं, मलयालम कैलेंडर के अनुसार ओणम का पर्व चिंगम माह में पड़ता है। इस पर्व को लेकर अलग-अलग कहानियाँ प्रचलित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार  ओणम के दिन राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती लोक पर आते हैं। इस खुशी में दक्षिण भारत में यह त्योहार बहुत धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही किसान नई फसल की बेहतर उपज के लिए यह पर्व मनाते हैं। 

ओणम का त्योहार हर्षोल्लास उमंग और परंपराओं से भरा हुआ त्योहार है। ओणम की शुरुआत होते ही लोग अपने  घरों को सजाते हैं। ओणम में रंगोली बनाने का विशेष महत्त्व है। ओणम के पहले दिन हर घर के आंगन में रंगोली बनायी जाती है, जिसे पूलकम कहते हैं। पहले दिन यह रंगोली छोटी होती है लेकिन हर दिन के साथ इसमें एक पंक्ति बढ़ा दी जाती है। दसवें दिन तक रंगोली का आकार बहुत बड़ा हो जाता है। इस त्योहार पर रंगोली के साथ दीप भी जलाए जाते हैं। ओणम के दिन केरल में प्रसिद्ध सर्प नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही कथकली नृत्य के साथ इस पर्व का लुफ्त उठाया जाता है। 

ओणम में घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं। ओणम पर साध्या थाली बनाने की परंपरा है। इस थाली में 26 तरह के शाकाहारी व्यंजन बनाए जाते हैं, जिन्हें केले के पत्तों पर परोसा जाता है। ओणम पर खासतौर पर चावल, नारियल के दूध और गुड़ डालकर खीर बनाई जाती है।
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