हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार 03 अक्तूबर से लेकर 12 अक्तूबर तक नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जा रहा है। नवरात्रि पर मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। जिससे भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। पूजा-पाठ के अलावा नवरात्रि के खास मौके पर लोग देश में स्थित फेमस दुर्गा मंदिरों का दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। वैष्णों देवी, नैना देवी, चामुंडा देवी और कामाख्या देवी मंदिरों के बारे में तो सभी जानते हैं।
बता दें कि इन फेमस मंदिरों की तरह राजस्थान में स्थित जीण माता मंदिर है। यह एक फेमस और प्राचीन दुर्गा मंदिर है। राजस्थान के सभी लोग जीण माता मंदिर को चमत्कारी मंदिर मानते हैं। ऐसे में इस नवरात्रि के मौके पर आपको भी अपने परिवार के साथ जीण माता मंदिर जाना चाहिए। तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको जीण माता मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
मंदिर का इतिहास
बता दें कि इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। बताया जाता है कि करीब 1200 साल पहले इस मंदिर का निर्माण हुआ था। प्राचीन काल से ही यह मंदिर भक्तों के लिए बेहद पवित्र और खास रहा है। इस मंदिर की कई बार मरम्मत और पुनर्निर्माण हो चुका है।
इस मंदिर के इतिहास को लेकर एक अन्य धारणा यह भी है कि इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी के आसपास हुआ था। कहा जाता है कि मंदिर की दीवारों में मौजूद शिलालेख 9वीं शताब्दी से भी प्राचीन है। जीण माता मंदिर में करीब 8 शिलालेख लगे हैं। जो इस मंदिर की प्राचीनता के प्रमाण माने जाते हैं।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जीण माता का जन्म एक चौहान वंश के राजा के घर हुआ था। इनके बड़े भाई का नाम हर्ष था। बताया जाता है कि हर्ष को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। मान्यता के मुताबिक एक दिन भाई-बहन के बीच किसी बात को लेकर बहस छिड़ गई। इस बहस से जीण माता नाराज हो गईं और वह राजस्थान के सीकर में तपस्या करने लगीं। भाई द्वारा लाख मनाए जाने के बाद भी वह नहीं मानी और बाद में धीरे-धीरे इस स्थान पर पूजा पाठ होने लगी और इसको पवित्र स्थान माना जाने लगा।
मां के चमत्कार से डर गया था औरंगजेब
मुगल शासक औरंगजेब ने एक बाद जीण माता के मंदिर को तोड़ने और लूटने के लिए अपनी सेना भेजी। तब मंदिर के पुजारियों ने रक्षा के लिए माता रानी से गुहार लगाई। तब जीण माता ने भंवरे यानी की मधुमखियां छोड़ दीं। मधुमखियों के काटने से सभी मुगल सैनिक गंभीर रूप से घायल होकर भाग गए।
बताया जाता है कि इस घटना के बाद खुद मुगल बादशाह औरंगजेब भी बीमार हो गया था। जब वह अधिक बीमार होने लगा, तो वह जीण माता के दरबार में पहुंचा और क्षमा मांगी। वहीं औरंगजेब स्वस्थ होने लगा, तो उसने मंदिर में अखंड दीप जलाने का प्रण लिया।
नवरात्रि पर होती है भारी भीड़
बता दें कि राजस्थान के सीकर में स्थित यह मंदिर रक्षा करने के काम करता है। नवरात्रि के मौके पर यहां पर सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि राज्य के हर कोने से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
नवरात्रि के पावन मौके पर जीण माता मंदिर को फूलों से सजाया जाता है औऱ अष्टमी और नवमी के बीच मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। इस दौरान सुबह 03:00 बजे खुल जाता है और यहां पर नवरात्रि पर मंदिर के आसपास मेला भी लगता है।