हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाऐं अपनी पति की लंबी उम्र और खुशहाल शादीशुदा ज़िंदगी के लिए व्रत रखती हैं। पंचांग के अनुसार इस साल यह व्रत 10 जून (गुरुवार) को किया जाएगा। हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का महत्व करवाचौथ व्रत जितना ही माना गया है। इस व्रत में वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष में त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास होता है। इस दिन महिलाऐं व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ पर रोली लपेट कर परिक्रमा करती हैं।
शुभ मुहूर्त
वट सावित्री व्रत तिथि - 10 जून 2021 (गुरुवार)
अमावस्या तिथि प्रारंभ- 9 जून 2021 (बुधवार) दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त- 10 जून 2021 (गुरुवार) शाम 04 बजकर 22 मिनट तक
वट सावित्री व्रत का महत्व
मान्यताओं के अनुसार सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे ही अपने पति सत्यवान को पुनः जीवित किया था। तब से इस व्रत को वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और त्रिदेव के सामने अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। माना जाता है कि जो भी महिला इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करती है उसके पति को सुख-समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।
घर पर ऐसे करें वट सावित्री पूजा
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और सोलह श्रृंगार करें।
- अब पूजा स्थल पर रंगोली बनाएं और एक लकड़ी की चौकी रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
- इसके बाद चौकी पर शिव-पार्वती और लक्ष्मीनारायण की मूर्ति स्थापित करें।
- इसके साथ ही पूजन स्थल पर एक तुलसी का पौधा भी रखें।
- अगर आप बरगद के पेड़ के पास नहीं जा सकती हैं तो उसकी एक टहनी तोड़कर गमले में लगा लें।
- अब सबसे पहले भगवान गणेश और गौरी की पूजा करें। इसके बाद वट वृक्ष में हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं। इसके बाद धूप-दीप से पूजन करें और कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल, फल और मिठाई चढ़ाएं।
- इस दिन सत्यवान व सावित्री की कथा भी जरूर सुनें।
- पूजा के बाद भीगे चने, कपड़े, सुहाग की सामग्री और कुछ पैसे अपनी सास को दें और उनका आशीर्वाद लें।
- इसके बाद पूरा दिन व्रत रखने के बाद पूजा में चढ़े भीगे चने फल आदि खाकर अपना व्रत खोलें।