सनातन धर्म में संक्रांति का अपना विशेष महत्व होता है। बता दें कि जब ग्रहों के राजा सूर्य देव एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं, तो उसे संक्रांति कहा जाता है। पूरे साल में 12 संक्रांतियां मनाई जाती है। हर एक संक्रांति का अपना महत्व होता है। संक्रांति के दिन पितृ तर्पण, दान, धर्म और स्नान आदि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष में हैं। आज यानी की 15 मई को सूर्य देव वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं। वृषभ राशि में सूर्य के इस गोचर को वृषभ संक्रांति के तौर पर मनाया जा रहा है।
महत्व
बता दें कि ज्योतिष में सूर्य को जगत की आत्मा का कारक माना जाता है। वहीं जिस भी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की स्थिति अच्छी होती है। वह व्यक्ति अपने जीवन में बहुत मान-सम्मान पाता है। इसके अलावा वह उच्च पद को प्राप्त करता है। वृषभ संक्रांति के दिन विधि-विधान से सूर्य देव का पूजन करने से व्यक्ति की समाज में यश व कीर्ति होती है। इस दिन सूर्य देव की विशेष आराधना करनी चाहिए।
शुभ मुहूर्त
15 मई 2023 यानी की आज सोमवार को वृषभ संक्रांति मनाई जा रही है।
शुभ मुहू्र्त पुण्य काल- सुबह 05:31 मिनट से 11:58 मिनट तक
महापुण्य काल- 09:42 से 11:58 मिनट तक
ऐसे करें सूर्य देव का पूजन
संक्रांति के दिन भगवान सूर्य नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर सूर्य देव को अर्घ दें। फिर अपनी यथाशक्ति अनुसार, गरीब या जरूरतमंद को दान-पुण्य करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की जीवन में यश और वैभव की प्राप्ति होती है। वृषभ संक्रांति के दिन भागवान श्रीहरि विष्णु और भोलेनाथ की भी पूजा करनी चाहिए। सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए वृषभ संक्रांति के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। कहा जाता है कि वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य नारायण अपनी उच्च राशि मेष से वृषभ राषि में गोचर करते हैं। इसके साथ ही सूर्य देव 15 दिनों के लिए रोहिणी नक्षत्र में भी होते हैं।