बीमारियों के इलाज में लोग लाखों पैसा गंवा देते हैं। बीमारियों के इलाज में कभी कभी लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं। बीमारियों में खर्च होने वाले पैसे लोगों की जमा पूंजी पर गहरा प्रभाव डालता हैं। बीमारियों का इलाज और सदियों से तो होता ही है साथ में इससे निजात पाने के कई अन्य उपाय भी होते हैं।औषधियों के अलावा बीमारियों से निजात पाने के उपायों में सबसे प्रभावशाली रत्नों को धारण करने का उपाय है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि रत्नों को सही तरीके और सही सलाह के अनुसार धारण किया जाए तो यह हमारी बीमारी से लड़ने में सफल साबित होेते है। बीमारी का उचित पता चलने पर उसके लिए बने उचित रत्न को धारण करने से बीमारी से तो निजात मिलता है साथ में धन के अपव्यय से बचा जा सकता है। रत्नों को धारण करने की सलाह कई अनुभवी लोग भी देते हैं, जिन्होंने रत्नों को धारण करने के बाद सकारात्मक परिणाम का अनुभव किया है।कई बीमारियों में रत्न और उपरत्न धारण करना बहुत कारगर साबित होता है।आइये जानते है किन रत्नों को आपको कौन सी बीमारी में धारण करना है।
1)मोती - यह रत्न तमाम बीमारियों से निजात पाने के लिए कारगर साबित होता आ रहा है। बहुत ही कठिनाई से मिलने वाला रत्न मोती, चन्द्रमा का रत्न होता है। यह रत्न तनाव ,कैल्शियम की कमी, स्नायु रोगों के लिए लाभदायक होता है। मोती रत्न धारण करने से रत्न तनाव, स्नायु और कैल्शियम की कमी जैसे बीमारियों से निजात पाया जा सकता है।
2)पन्ना- आधुनिक जमाने में स्मरण शक्ति की कमी अक्सर युवा और बच्चों में लगातार देखने को मिल रही है। स्मरण शक्ति को मजबूत करने के लिए यह रत्न कारगर साबित होता है।पन्ना बुद्ध का रत्न का होता है यह मस्तिष्क पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है और अच्छी स्मरण शक्ति के लिए लाभकारी सिद्ध होता है। इस रत्न को कनिष्ठका में चांदी या सोने के साथ धारण करना चाहिए।
3)नीलम- नीलम शनि का रत्न है। यह अच्छे या बुरे प्रभाव को बहुत तेज़ी से प्रभावित करता है।यह रत्न वायु विकार, गठिया, मिर्गी, हिचकी, दमा, एवं नपुंसकता से निजात प्रदान करवाता है।
4)माणिक - मणिक सूर्य का रत्न है।यह रक्त पीठ दर्द, नेत्ररोग,चर्म रोग, हड्डी के रोग ,वृद्धि के लिए उपयोग किया जाता है। इस रत्न को अनामिका में सोने के अंगूठी के साथ धारण करना चाहिए।
5)फिरोजा- यह धातु अत्यंत लाभदायक होता है। इस रस्म को विशिष्ट रत्नों की दर्जा दी गई है। खासकर यह रत्न आपदाओं से बचने के लिए धारण किया जाता जाती है। फिरोजा रत्न दैविक आपदाओं से बचाने के लिए धारण करना चाहिए।
6)मूँगा- मूँगा मंगल का रत्न है। इस रत्न को ऑपरेशन,घाव, स्त्रियों के रोग, गर्भधारण आदि समस्याओं के समाधान के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसे अनामिका अँगुली में सोने या चांदी के साथ पहनना चाहिए।
7)पुखराज- पुखराज बृहस्पति का रत्न है। यह यृकत के रोगों,गैस्टीक रोग आदि में उपयोग किया जाता है।इसे अनामिका या तर्जनी में सोने के अंगूठी के साथ धारण करना चाहिए।
8)गोमदे- गोमदे राहु का रत्न है इसे चर्मरोग, मानसिक रोग,कफ,बवासीर आदि रोगों से निजात दिलाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
9)लहसुनिया- लहसुनिया केतु का रत्न है इसे विष जनित रोगों, रहस्यमय रोगों ,जीर्ण चर्म रोगों से निजात पाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।