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परिवर्तिनी एकादशी व्रत करने से होती है सभी मनोकामनाएँ पूरी, जीवन में आती है सुख-समृद्धि

By Astro panchang | Aug 29, 2020

हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्त्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं और यदि साल में मलमास लग रहा हो तो 26 एकादशी होती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। इसे पद्मा एकादशी या पार्श्व एकादशी भी कहा जाता है। इस बार 29 अगस्त 2020 यानि आज परिवर्तिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु अपनी शयन मुद्रा में करवट बदलते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ महालक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। इस दिन वामन जयंती भी मनाई जाती है। वामन अवतार भगवान विष्णु के पाँचवे अवतार हैं। परिवर्तिनी एकादशी बहुत फलदायी होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करने से सारी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। इस दिन व्रत करने और विधि-विधान पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी के दिन व्रत करने से वाजपेय यज्ञ से भी अधिक फल प्राप्त होता है। आइए जानते यहीं परिवर्तिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि - 

इस साल परिवर्तिनी एकादशी पर बन रहा है विशेष योग 
इस बार परिवर्तिनी एकादशी पर एक विशेष मंगलकारी योग बना रहा है जिसे 'आयुष्मान योग' कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार आयुष्मान योग किया गया कोई भी कार्य बड़ा फलदायी होता है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करने से जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और आ सभी कष्ट दूर होते हैं। 
 
परिवर्तिनी एकादशी 2020 शुभ मुहूर्त:

एकादशी तिथि आरंभ - 28 अगस्त, सुबह 08 बजकर 38 मिनट 

एकादशी तिथि समाप्त - 29 अगस्त, सुबह 08 बजकर 17 मिनट तक

पारण का समय - 30 अगस्त, सुबह 05 बजकर 58 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट  तक

परिवर्तिनी एकादशी व्रत पूजन विधि 
परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। इस दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल को गंगा जल से साफ करके पवित्र कर लें। अब एक साफ चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान लक्ष्मी नारायण की मूर्ती स्थापित करें। इसके बाद भगवान को कुमकुम या चंदन का तिलक लगाएं। भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाएं और भगवान को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी का भोग लगाएं। पीला रंग भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय होने के कारण पीले रंग के फूल और मिठाई का भोग अवश्य लगाएं। इसके बाद विष्णु चालिसा, विष्णु स्तोत्र और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और भगवान से अपनी गलतियों के लिए  क्षमा याचना करें। अगले दिन द्वादशी तिथि पर स्नान करने के बाद पूजन करें और व्रत का पारण करें। 

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा 
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब राजा बलि ने 100 यज्ञ पूर्ण करने के बाद स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से देवताओं की सहायता करने के लिए प्रार्थना की। वहीं सभी देवताओं ने भी अपना राज्य प्राप्त करने के लिए महालक्ष्मी से भी प्रार्थना की। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। तब भगवान विष्णु देवताओं की सहायता के लिए वामन अवतार में आए और राजा बलि से देवताओं को उनका राज्य वापस दिलवाया। शास्त्रों के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन दान-पुण्य करने से विशेष फल प्राप्त होता है। परिवर्तिनी एकादशी के दिन तांबा, चांदी, चावल और दही का दान करना भी शुभ माना जाता है।
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