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नागर शैली में किया गया है श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण, जानिए क्या है इसकी विशेषता

By Astro panchang | Feb 27, 2024

अयोध्या के श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी 2024 को धूमधाम से संपन्न हो गया। इसके साथ ही राम भक्तों की सालों की इच्छा पूरी हो गई और रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं। श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पीएम मोदी ने भी भाग लिया। इसके साथ ही भगवान भोलेनाथ के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में देश के सभी धार्मिक और आध्यात्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अयोध्या में नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में भाग लिया। 

44 दरवाजे और 392 स्तंभ
प्रभु श्रीराम के लिए भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है। मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और 161 फीट ऊंचाई है। श्रीराम का मंदिर 44 दरवाजों और 392 स्तंभों द्वारा समर्थित हैं। वहीं मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं के जटिल चित्रों को उकेरा गया है। साथ ही मंदिर के भूतल पर मुख्य गर्भग्रह में रामलला को रखा गया है। राम मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में हैं।

राम मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वारा तक सिंह द्वार से 32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जाएगा। इसके साथ ही मंदिर में 5 मंडप हैं। जिनमें रंग मंडप, सभा मंडप, नृत्य मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप शामिल हैं। वहीं मंदिर के पास में ही एक कुआं बना है। यह कुआं ऐतिहासिक और प्राचीन काल का है। राम मंदिर के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में स्थित कुबेर के टीले में भगवान शंकर के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है और पास में एक जटायू की मूर्ति स्थापित की गई है।

मंदिर निर्माण में नहीं हुआ लोहे का इस्तेमाल
प्रभु श्रीराम के मंदिर की नींव के निर्माण में रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट की 14 मीटर मोटी परत रखी गई है। इससे यह कृत्रिम चट्टान की तरह बन जाता है। वहीं राम मंदिर निर्माण में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
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