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Pooja in Kharmas: खरमास में विशेष रूप से करनी चाहिए श्रीहरि विष्णु की पूजा, जानिए पूजा विधि और महत्व

By Astro panchang | Jan 03, 2024

आपको बता दें कि 16 दिसंबर 2023 से खरमास की शुरूआत हो चुकी है। खरमास में किसी भी तरह के शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। खरमास के दौरान भगवान सूर्य नारायण धनु राशि में प्रवेश करते हैं। जिसके कारण इसे धनुर्मास भी कहा जाता है। वहीं 15 जनवरी 2024 को खरमास की समाप्ति हो जाएगी। जिसके बाद सभी शुभ कार्य किए जाएंगे। खरमास के दौरान विवाह, मुंडन, वाहन खरीदना और घर खरीदने आदि के शुभ कार्यों को करने से रोक दिया जाता है।

धार्मिक शास्त्रों के मुताबित इस समय यानी की खरमास के दौरान सूर्य की ऊर्जा में कमी आने के साथ ही स्थिति भी कमजोर हो जाती है। मान्यता के अनुसार, इस दौरान सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है। इस वजह से सभी शुभ कार्यों पर पाबंदी लग जाती है और मांगलिक कार्य भी नहीं संपन्न होते हैं। लेकिन बताया जाता है कि खरमास में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करनी चाहिए। लेकिन अगर आपके मन में यह सवाल है कि इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा कैसे करनी चाहिए, तो बता दें कि यह आर्टिकल आपके लिए है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि खरमास में आप किस तरह से विष्णु पूजन करें।

ऐसे करें श्रीहरि विष्णु की पूजा
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस अवधि में शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। लेकिन खरमास में पूजा-पाठ से व्यक्ति को विशेष लाभ हो सकता है। वहीं इन दिनों जगह के पालनहार श्रीहरि विष्णु की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है। इस दौरान भगवान श्रीहरि के साथ मां लक्ष्मी का पूजन अवश्य करना चाहिए। जो व्यक्ति खरमास में भगवान श्रीहरि विष्णु के साथ मां लक्ष्मी का पूजन करता है। उसके घर में सुख-समृद्धि और धन-संपदा बनी रहती है। साथ ही व्यक्ति को नौकरी व कारोबार में भी लाभ मिलता है।

भगवान श्रीहरि के पूजन के लिए सुबह सूर्योदय से पहले स्नान आदि कर लें।
फिर भगवान श्रीहरि विष्णु के व्रत का संकल्प लेते हुए विष्णु मंत्रों का जाप करें।
इसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें।
पूजा के अंत में आरती करें और पूजा में हुई भूल के लिए माफी मांगे।

इन मंत्रों का करें जाप
खरमास के दौरान व्यक्ति को पुरुष सूक्त, सत्यनारायण कथा, विष्णुसहस्त्रनाम और भागवत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए।
इसके साथ ही रोजाना आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से लाभ हो सकता है।

भगवान विष्णु की आरती
खरमास में भगवान श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा करने के बाद आरती जरूर करनी चाहिए।

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
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