नवरात्रि में माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान लोग विधि-विधान से 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजाकर माता को अपने घर बुलाते हैं। वहीं माता रानी के दर्शन करने के लिए मंदिर भी पहुंचते हैं। बता दें कि वैसे तो भारत में मां दुर्गा के कई लोकप्रिय मंदिर हैं। जहां पर आप न सिर्फ नवरात्रि बल्कि कभी भी जा सकते हैं। माता सती के शरीर के अंग जहां-जहां पर गिरे वहां पर शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। 52 ऐसे शक्तिपीठ हैं जो अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं। यह सभी शक्तिपीठ अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि सभी शक्तिपीठ भारत में नहीं हैं। बल्कि कुछ शक्तिपीठों के दर्शन के लिए आपको विदेश जाना पड़ेगा।आइए जानते हैं भारत के बाहर स्थिति देवी मां के शक्तिपीठों के बारे में...
पाकिस्तान में स्थित शक्तिपीठ
भारत के पड़ोशी देश पाकिस्तान में देवी मां का फेमस शक्तिपीठ स्थित है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगूला शक्तिपीठ स्थित है। बता दें कि देश के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यहां पर माता के हिंगलाज स्वरूप की पूजा होती है। मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर माता सती का सिर गिरा था। इसे नानी का हज या नानी का मंदिर कहा जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर पर कई बार आतंकी हमले हुए। लेकिन इस शक्तिपीठ को नाम मात्र का नुकसान नहीं हुआ।
श्रीलंका में शक्तिपीठ
भारत के दक्षिण में स्थित श्रीलंका में भी देवी मां का शक्तिपीठ है। इस शक्तिपीठ को इंद्राक्षी शक्तिपीठ कहा जाता है। बताया जाता है कि यहां पर माता सती के पैर की पायल गिरी थी। वहीं मान्यता के अनुसार, देवराज इंद्र और भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने शक्तिपीठ में पूजा-अर्चना की थी। श्रीलंका के जाफना नल्लूर में देवी मां को इंद्राक्षी पुकारा जाता है।
नेपाल में तीन शक्तिपीठ
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में तीन शक्तिपीठ हैं। पहला शक्तिपीठ गंडक नदी के पास है। जिसे आद्या शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर माता सती का बायां गाल गिरा था। यहां पर देवी मां को गंडकी कहकर पुकारा जाता है।
दूसरा शक्तिपीठ पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर मौजूद बागमती नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर का नाम गुहेश्वरी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यहां पर माता सती के दोनों घुटने गिरे थे। इस स्थान पर देवी मां की महामाया रूप में पूजा होती है।
नेपाल में स्थित तीसरा शक्तिपीठ बिजयापुर गांव में बसा है। यहां पर माता सती के दांत गिरे थे। जिस कारण इस दंतकाली शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।
तिब्बत में स्थित शक्तिपीठ
भारत के पास बसे तिब्बत में माता सती के हाथ की दाईं हथेली गिरी थी। यह मनसा देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। बता दें कि तिब्बत में मानसरोवर नदी के तट पर यह शक्तिपीठ स्थित है।
बांग्लादेश में 6 शक्तिपीठ
पहला शक्तिपीठ उग्रतारा नाम से प्रसिद्ध हैं, मान्यता के अनुसार, यहां पर माता सती की नाक गिरी थी।
दूसरा अपर्णा शक्तिपीठ है, इस स्थान पर माता के बाएं पैर की पायल गिरी थी।
सिलहट जिले में शैल नाम के स्थान पर तीसरा श्रीशैल शक्तिपीठ स्थित है। यहां पर माता सती का गला गिरा था।
चिट्टागोंग जिले में सीता कुंड स्टेशन के पास चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल में चौथा शक्तिपीठ स्थित है। इस स्थान पर माता सती की दांयी भुजा गिरी थी।
यशोरेश्वरी माता नामक पांचवा शक्तिपीठ हैं। इस स्थान पर बाईं हथेली गिरी थी।
सिलहट जिले के खासी पर्वत पर जयंती शक्तिपीठ है। यहां पर माता सती की बाईं जंघा गिरी थी।