होम
कुंडली
टैरो
अंक ज्योतिष
पंचांग
धर्म
वास्तु
हस्तरेखा
राशिफल
वीडियो
हिन्दी न्यूज़
CLOSE

Ramayan Ki Kahani: लंकापति रावण ने छाया सीता का किया था हरण, इस वजह से देनी पड़ी थी अग्नि परीक्षा

By Astro panchang | Jan 09, 2024

धार्मिक कथाओं के मुताबिक अयोध्यापति प्रभु श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। राजा राम की तरह वह अपनी प्रजा के समर्पण के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते थे। वहीं जब लंकापति रावण की कैद में लंबे समय तक रहने के बाद माता सीता वापस लौटीं, तो उनको अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा था। वहीं जब श्रीराम के भाई लक्ष्मण को माता सीता द्वारा अग्नि परीक्षा दिए जाने की बात पता चली तो वह प्रभु राम से खफा हो गए। 

लक्ष्मण ने माता सीता द्वारा अग्नि परीक्षा से गुजरने के लिए भाई के खिलाफ विद्रोह की धमकी तक दे डाली। जिसके बाद प्रभु राम ने लक्ष्मण के गुस्से को शांत करते हुए बताया कि वह ऐसा कर असली सीता को हासिल कर रहे हैं। क्योंकि रावण ने माता सीता का नहीं बल्कि उनकी छाया का अपहरण किया था। तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि माता सीता को आखिर किन कारणों से अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा था।

जानिए क्या कहता पद्म पुराण
पद्म पुराण के अनुसार, रामायण में एक नहीं बल्कि दो सीता का वर्णन मिलता है। इसमें एक असली मां सीता थीं और दूसरी माया की सीता थी। एक बार जब कंदमूल फल लेने के लिए लक्ष्मण वन को गए हुए थे। तब प्रभु राम ने माता सीता से कहा कि अब उनके नर लीला करने का समय आ गया है। इसलिए जब तक वह असुरों व राक्षसों का नाश करेंगे। तब तक सीता अग्नि में निवास करें। ऐसा कहकर प्रभु श्रीराम ने अग्नि देवता को माता सीता को सौंप दिया।

असली माता सीता को अग्नि देव को सौंपने के बाद माया की सीता प्रकट हुईं। ऐसे में जब रावण ने सीता का अपहरण किया, तो वह माया की सीता थीं। वहीं जब रावण के साथ प्रभु राम का युद्ध समाप्त हो गया। तो माता सीता को वापस आने के बाद जब प्रभु श्रीराम ने उन्हें अग्नि परीक्षा देने के लिए कहा। जिसके बाद माया वाली सीता अग्नि कुंड में समा गईं। वहीं अग्नि कुंड में माया की सीता के समाने के बाद अग्नि से बाहर असली माता सीता आ गईं। इस तरह से माता सीता द्वारा अग्नि परीक्षा का यही एक मुख्य कारण था।

रावण ने छाया सीता का किया था हरण
सीता माता को अग्निदेव ने अपने सुरक्षाचक्र में रखकर कुटिया से गायब कर दिया। असली माता सीता के स्थान पर उनके प्रतिबिंब को रखा गया था। असल में लंकापति रावण ने माता सीता का नहीं बल्कि उनके प्रतिबिंब का हरण किया था। क्योंकि जब लंकापति ने माता सीता को जबरन पकड़कर रथ में बिठाया, तो माता सीता के पतिव्रता के कारण रावण को फौरन जलकर भस्म हो जाना चाहिए। लेकिन ऐसा इसलिए नहीं किया, क्योंकि रावण के साथ असली माता सीता नहीं बल्कि उनका प्रतिबिंब थी।
Copyright ©
Dwarikesh Informatics Limited. All Rights Reserved.