हिंदू धर्म में पितृपक्ष के मौके पर पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है। इस दौरान पितरों को तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। लेकिन इस बार चंद्रग्रहण के साए में पितृपक्ष की शुरूआत हो रही है। पितरों को मुक्ति दिलाने से उनका आशीर्वाद मिलता है। माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान चंद्र ग्रहण जैसी खगोलीय घटना होती है, ऐसे में श्राद्ध करने से नियमों में कुछ बदलाव किए जाते हैं। चंद्रग्रहण एक अशुभ घटना है, इस दौरान धार्मिक काम नहीं किए जाते हैं। वहीं पितृपक्ष में चंद्रग्रहण का साया होने से यह अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि पितृ पक्ष का समय पितरों से जुड़ा एक विशेष समय माना जाता है।
इस बार पितृपक्ष में साल का दूसरा चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण लगेगा। ज्योतिष के अनुसार, इस साल चंद्रग्रहण से पितृपक्ष की शुरूआत हो रही है। बता दें कि 18 सितंबर 2024 को प्रतिपदा श्राद्ध के साथ पितृपक्ष की शुरूआत हो रही है। वहीं उसी दिन साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। चंद्रग्रहण के कारण यह पितृपक्ष अत्यंत शुभदायक नहीं रहेगा। हालांकि चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, जिस कारण भारत में सूतक भी नहीं माना जाएगा। लेकिन इस ग्रहण के प्रभाव से पितृ पक्ष का प्रभाव कम रहेगा।
हिंदू पंचांग के मुताबिक सुबह 06:12 मिनट पर चंद्रग्रहण की शुरूआत होगी और वहीं 10:17 मिनट पर इसकी समाप्ति होगी। भारत में दिखाई न देने की वजह से ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं होगा। वहीं प्रतिपदा पर श्राद्ध करने वाले लोग ग्रहण काल समाप्त होने के बाद ही श्राद्ध कर्म करेंगे। ग्रहण के मोक्ष काल के बाद ही प्रतिपदा श्राद्ध किया जाएगा। चंद्रग्रहण के मौके पर पितरों को मुक्ति और आत्मा को शांति दिलाने के लिए आप कुछ उपाय भी कर सकते हैं। ग्रहण के दौरान श्राद्ध न करें। इस दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप करते रहें। ग्रहण के बाद पितरों को श्रद्धांजलि दें।