हिंदू धर्म व्रत-त्योहार का अधिक महत्व होता है। आज यानी की 26 नवंबर 2023 को देव दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है। पूर्णिमा तिथि की शुरूआत 26 नवंबर को दोपहर 03:52 मिनट से हो रही है। वहीं इसका समापन 27 नवंबर को दोपहर 02:45 मिनट पर होगी। लेकिन 27 नवंबर को प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त नहीं होने के कारण 26 नवंबर 2023 को देव दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है। इस मौके पर रवि योग, परिघ योग और शिव योग भी बन रहे हैं
देव दिवाली 2023 मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा तिथि की शुरूआत - 26 नवंबर 2023 को दोपहर 03:53 मिनट पर
कार्तिक पूर्णिमा तिथि का समाप्ति - 27 नवंबर 2023 को दोपहर 02:45 मिनट पर
प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 से रात 07:47
अवधि - 02:39 मिनट तक
देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान भोलेनाथ के बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर नामक असुर का वध कर दिया था। वहीं तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने पिता तारकासुन की मृत्यु का बदला लेने प्रण लिया। इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था। इन तीनों असुरों ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा देव को प्रसन्न किया। जब ब्रह्मा देव ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए तो असुरों ने अमरत्व का वरदान मांगा। लेकिन ब्रह्मा देव ने यह वरदान देने से इंकार कर दिया।
तब ब्रह्मा देव ने तीनों को वरदान दिया कि निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति आएंगी। साथ ही असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से यदि कोई उनको मारना चाहेगा, तभी त्रिपुरासुर का वध होगा। इस आशीर्वाद के बाद से त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया। जिसके बाद स्वयं भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर का वध करने का संकल्प लिया। भगवान ने पृथ्वी को रथ बनाया और सूर्य-चंद्रमा रथ के पहिए बने।
सृष्टा सारथी बने और भगवान श्रीहरि बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने। इसके बाद भगवान भोलेनाथ ने उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष बाण चढ़ाकर त्रिपुरासुर का अंत कर दिया। तभी से भोलेनाथ को त्रिपुरारी भी कहा जाने लगा। बता दें कि जिस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था, वह कार्तिक पूर्णिमा का दिन था। त्रिपुरासुर की वध की खुशी में सब देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे। जहां पर गंगा स्नान कर दीप दान कर खुशियां मनाई गईं। तभी से पृथ्वी पर देव दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा।