हमारे देश भारत में कई ऐसी धार्मिक जगहें हैं, जिनका अपना महत्व है। बता दें कि गुजरात के बनासकांठा में मौजूद अंबाजी माता का मंदिर मौजूद है। यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां पर कोई मूर्ति मौजूद नहीं है। इस मंदिर में मुख्य रूप से श्री चक्र की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता के अनुसार, श्रीयंत्र सामान्य आंखों से नजर नहीं आता है। इसलिए इस श्रीयंत्र की पूजा सिर्फ आंखों पर पट्टी बांधकर की जाती है। इसके अलावा इस मंदिर में तस्वीर लेना निषेध माना जाता है।
मंदिर की पौराणिक मान्यता
बता दें कि गुजरात के बनासकांठा में स्थित यह मंदिर नौ देवियों में से एक अंबा देवी को समर्पित है। इस मंदिर की पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब राजा दक्ष द्वारा भगवान भोलेनाथ का अपमान किया गया। तब माता सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। जिसके बाद भगवान शिव ने माता सती के पार्थिव शरीर को यज्ञकुंड से बाहर निकालकर कंधे पर उठा लिया और दुखी होकर इधऱ-उधर घूमने लगे थे।
जब सृष्टि का संतुलन डगमगाने लगा तो जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु ने माता सती की पार्थिव शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से काट दिया था। इसके बाद माता सती के पार्थिव शरीर के वह टुकड़े जहां-जहां गिरे। वह सभी स्थान शक्तिपीठ कहलाए। गुजरात के बनासकांठा में माता सती का हृदय गिरा था इसलिए यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है।
भक्तों का लगता है तांता
माता के दर्शन करने के लिए हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु अंबाजी मंदिर पहुंचते हैं। खासतौर पर मंदिर में भद्रवी पूर्णिमा, नवरात्रि और दिवाली के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां पर आपको बेहद खूबसूरत प्राकृतिक नजारे भी देखने को मिलेंगे। इस मंदिर के आसपास कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जहां पर सैलानी घूमने के लिए पहुंचते हैं। यह स्थान अरावली पर्वतमाला के घने जंगलों से चारो तरफ से घिरा हुआ है। आप मंदिर में दर्शन करने के बाद गब्बर हिल, कैलाश टेकरी, कुंभारिया आदि जैसे दर्शनीय स्थल भी जा सकते हैं।