सतयुग के समय प्रभु राम ने मां सीता को लंका से वापस लाने के लिए समुद्र के बीच पुल का निर्माण किया था। उस दौरान पुल बनाने के दौरान श्रीराम नामक पत्थर को पानी में तैराकर इसे तैयार किया गया था। इस पुल को वर्तमान में रामसेतु के नाम से जाना जाता है। ठीक इसी तरह राजस्थान के नागौर मे श्रीराम लिखकर 51 किलो की कुंडी पानी के बीच तैराई गई थी। बताया जाता है कि यह राघवजी महाराज का चमत्कार था।
बता दें कि आज हम आपको नागौर के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां पर दर्शन मात्र से न सिर्फ भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। बल्कि धन और कर्जे संबंधी समस्या से भी राहत मिलती है। तो ऐसे में अगर आप भी इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको नागौर में बने लक्ष्मी नृहसिंह मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।
सालों पुराना है यह मंदिर
आपको बता दें कि नागौर में एक मात्र लक्ष्मी नृहसिंह जी का मंदिर बना है। बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 350 साल पुराना है। इस स्थान पर राघवदास महाराज ने तपस्या की थी। जब यहां वह राघवदास की महाराज तपस्या करते थे, तब पहली बार नागौर में पानी में 51 किलो वजनी कुंडी तैराई गई। जिसके बाद यह परंपरा आज भी जारी है। मान्यता के मुताबिक भगवान के चमत्कार के कारण यह कुंडी पानी में तैरती है। इसके अलावा इस मंदिर में 300 साल पुराना कुंआ भी है। इस कुएं को केदारजी के नाम से जाना जाता है। वहीं इस कुएं से नागौर के 9 अन्य कुएं भी जुड़े हैं।
धन संबन्धित समस्या होगी दूर
धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस मंदिर में आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। यहां पर मंदिर की परिक्रमा करने और भगवान को भोग लगाने से धन संबंधी समस्या दूर होती है। बता दें कि इस मंदिर में लक्ष्मी नृहसिंह मंदिर के अलावा महादेव का मंदिर, हनुमान जी का मंदिर और राघव महाराज की छतरी बनी हुई है।