हिन्दू धर्म में नवरात्रि पर्व का बहुत महत्व है। नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग रुपों की पूजा-आराधना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही माता की पूजा शुरु हो जाती है और नवमी के दिन हवन और कन्या पूजन किया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 07 नवंबर (गुरुवार) से हो रही है। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ रूपों की भक्तिभाव से पूजा करने से माता अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि और शक्ति प्रदान करती हैं। वैसे तो माँ दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है लेकिन देवीभागवत पुराण के अनुसार देवी के आगमन के लिए अलग-अलग वाहन हैं। ऐसा माना जाता है कि माता जिस वाहन पर सवार होकर धरती पर आती हैं उसके अनुसार आने वाले भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है। आइए जानते हैं कि माता इस साल कौन सी सवारी पर सवार होकर माता धरती पर आएंगी और इसका क्या प्रभाव होगा -
अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं माता
देवी भागवत पुराण के अनुसार हर साल नवरात्रि के समय और तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर नवरात्रि की शुरुआत सोमवार या रविवार को हो रही है तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर सवार होकर आएंगी। वहीं अगर शनिवार या फिर मंगलवार को कलश स्थापना हो रही है तो माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। अगर गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ होता है तो माता डोली पर सवार होकर आती हैं। वहीं नवरात्रि की शुरुआत बुधवार को हो तो माँ नाव को अपनी सवारी बनाकर आती हैं।
इस बार डोली पर सवार होकर आएंगी माता
इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 07 नवंबर (गुरुवार) के दिन हो रही है। ऐसे में माता डोली पर सवार होकर धरती पर आएंगी। देवी भागवत पुराण के अनुसार डोली पर माता का आगमन शुभ नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कि डोली पर आने से महामारी और रोगों में वृद्धि होती है। इससे सत्ता में बड़ी उथल-पुथल होगी और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएँ होने की आशंका रहेगी। माना जाता है कि माता के डोली में आगमन से महामारी और रोग-शोक फैलता है। ऐसे में माता की भक्तिभाव से पूजा-आराधना करें जिससे माता की कृपा आपके और आपके परिवार पर सदैव बनी रहे।