हिंदू धर्म में पुराणों का अधिक महत्व है। पुराणों में ईश्वर के स्वरूप, उनकी लीलाओं और जीवन से सिद्धांतों के बारे में बताया गया है। बता दें कि सनातन धर्म में कुल 18 पुराणों का जिक्र मिलता है। इन पुराणों को पढ़ने या सुनने से व्यक्ति के सभी पापों का अंत हो जाता है। इन पुराणों में सिर्फ देवी-देवताओं की कथाओं के बारे में ही नहीं बल्कि चिकित्सा, खगोल विज्ञान, इतिहास और कई अन्य विषय भी शामिल किए गए हैं।
18 पुराण
ब्रह्म पुराण
पद्म पुराण
विष्णु पुराण
शिव पुराण
भागवत पुराण
नारद पुराण
मार्कण्डेय पुराण
अग्नि पुराण
भविष्य पुराण
ब्रह्मवैवर्त पुराण
लिंग पुराण
वाराह पुराण
स्कंद पुराण
वामन पुराण
कूर्म पुराण
मत्स्य पुराण
गरुड़ पुराण
ब्रह्मांड पुराण
ब्रह्म पुराण
यह प्राचीन पुराणों में से एक है। इस पुराण में सृष्टि की रचना का वर्णन किया गया है। ब्रह्म पुराण देवी-देवताओं, प्राणि, पृथ्वी, मनुवंश, भोगल, नरक, स्वर्ग, मंदिर, तीर्थ आदि के बारे में उल्लेख मिलता है।
पद्म पुराण
इस पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति अर्थात इस बात का वर्णन मिलता है कि किस तरह से ब्रह्म देव ने सृष्टि की रचना की थी। यह पुराण भी अन्य पुराणों के ज्ञानों से परिपूर्ण है।
विष्णु पुराण
विष्णु पुराण में मुख्य रूप से भगवान श्रीहरि विष्णु से संबंधित कथाएं मिलती हैं। पराशर ऋषि द्वारा इस पुराण की रचना की गई है। यह अन्य 17 पुराणों में से सबसे छोटा पुराण है। इस पुराण में भगवान विष्णु के अवतारों, श्रीकृष्ण के चरित्र और राम कथाओं का वर्णन मिलता है।
शिव पुराण
इस पुराण में भगवान शंकर के अवतार और उनकी महिमा के बारे में बताया गया है। शिव पुराण में भगवान शिव-शंकर के विविध रूपों, ज्योतिर्लिंगों और अवतारों के बारे में उल्लेख मिलता है।
भागवत पुराण
भागवत पुराण में भगवान श्रीहरि विष्णु के सभी अवतारों की संपूर्ण कथाओं का वर्णन मिलता है। इस पुराण में भक्ति योग के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया गया है।
नारद पुराण
आपको बता दें कि नारद पुराण को महापुराण भी कहा जाता है। क्योंकि नारद पुराण में सभी 18 पुराणों का सार दिया गया है। इस पुराण में कल्प, शिक्षा, ज्योतिष और व्याकरण आदि का वर्णन किया गया है।
मार्कण्डेय पुराण
इस पुराण को प्राचीनतम पुराण माना जाता है। इस पुराण में सभी वैदिक देवताओं इंद्र, अग्नि और सूर्य सहित अन्य के बारे में बताया गया है। इसके अलावा इस पुराण में श्रीकृष्ण से जुड़ी लीलाओं का भी उल्लेख मिलता है।
अग्नि पुराण
अग्नि पुराण के प्रवक्ता अग्नि और श्रोता वशिष्ठ हैं। इस पुराण में भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतारों के अलावा दुर्गा, गणेश, सूर्य, शिवलिंग, प्राण प्रतिष्ठा आदि का वर्णन मिलता है। अग्नि पुराण में गणित, भूगोल, ज्योतिष, मृत्यु, विवाह, वास्तु, नीति शास्त्र, युद्ध विद्या, शकुन विद्या, धर्म शास्त्र, छंद, काव्य, व्याकरण और आयुर्वेद का भी विस्तार से वर्णन मिलता है।
भविष्य पुराण
भविष्य पुराण में कई भविष्यवाणियां की गई हैं। इस पुराण में 12 महीनों के निर्माण के बारे में बताया गया है। इसके अलावा इस पुराण में विक्रम बेताल और बेताल की कथाओं का भी उल्लेख किया गया है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण
इस पुराण को वेदमार्ग 10वां पुराण माना गया है। इस पुराण में आयुर्वेद संबंधी जानकारियां दी गई हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं, श्री राधा रानी की गोलोक लीला आदि का उल्लेख मिलता है।
लिंग पुराण
लिंग महापुराण में भगवान शिव जी के 28 अवतारों का संपूर्ण वर्णन मिलता है। इस पुराण में जालंधर वध और अंधकासुर की कथा का वर्णन मिलता है।
वराह पुराण
यह पुराण भगवान श्रीहरि विष्णु के वराह अवतार पर आधारित है। वराह पुराण में श्रीहरि के वराह रूप में अवतरित होने की कथा, प्रलय और फिर सृष्टि के निर्माण की जानकारी दी गई है।
स्कंद पुराण
इस पुराण में भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय के बारे में वर्णन किया गया है। इसके अलावा इस पुराण में भगवान शिव की महिमा, सती-चरित्र, शिव-पार्वती विवाह, कार्तिकेय जन्म, तारकासुर वध आदि कथाओं के बारे में जानकारी दी गई है।
वामन पुराण
वामन पुराण में भगवान विष्णु के वामन अवतार के बारे में बताया गया है। इसके साथ ही इसमें वामन अवतार, शिवलिंग पूजा, शिव-पार्वती की कथा, गणेश और स्कन्द आख्यान का उल्लेख मिलता है।
कूर्म पुराण
कूर्म पुराण में चारों वेदों का संपूर्ण सार मिलता है। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने मंथन के समय मंदराचलगिरि को समुद्र में स्थिर रखने के लि कूर्मावतार धारण कर किया था। इस पुराण में कूर्म अवतार द्वारा दिए गए उपदेशों का वर्णन मिलता है। इसके अलावा इसमें ब्रह्मा, विष्णु, शिव, पृथ्वी और गंगा की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है और इस पुराण में मानव जीवन के चार आश्रम धर्मों की जानकारी मिलती है।
मत्स्य पुराण
बता दें कि इस पुराण का संबंध श्रीहरि विष्णु के मत्स्य अवतार से है। इस पुराण में जल प्रलय से लेकर कलियुग के राजाओं की सूची का उल्लेख किया गया है। मत्स्य पुराण सुनने से व्यक्ति की कीर्ति बढ़ती है और आयु बढ़ती है। वहीं जातक सभी पापों से मुक्त होकर नारायण में लीन हो जाता है।
गरुड़ पुराण
गरुण पुराण मृत्यु से जुड़ी घटनाओं के बारे में जानकारी देता है। इस पुराण में व्यक्ति के जन्म, मृत्यु, पुनर्जन्म, पाप-पुण्य, कर्म, आत्मा आदि से बातों का वर्णन मिलता है।
ब्रह्मांड पुराण
अठारह पुराणों में से ब्रह्मांड पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि किस तरह से ब्रह्मांड और सृष्टि की रचना की गई थी। साथ ही इसमें यह भी बताया गया कि इस निर्माण की प्रक्रिया में देवी-देवताओं का क्या सहयोग रहा है।