सनानत धर्म के प्रमुख त्योहारों में महाशिवरात्रि शामिल है। हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का पावन पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। भगवान भोलेनाथ की पूरे विधि विधान से महाशिवरात्रि के दिन पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है। यह भगवान शिव का प्रतीक है। शिव का अर्थ है - कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव ने ही धरती पर सबसे पहले जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया था, इसीलिए भगवान शिव को आदिदेव भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भगवान शिव की आराधना के लिए महाशिवरात्रि को विशेष माना गया है। मान्यता है भगवान शिव बहुत ही दयालु और कृपालु भगवान हैं। वे मात्र एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार शिवरात्रि के दिन महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसी दिन भगवान शिव सन्यासी जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किये थे। इसीलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की पूजा अर्चना की जाती है।
महाशिवरात्रि के पूजा का शुभ मुहूर्त
* महाशिवरात्रि पहले पहर की पूजा : 1 मार्च 2022 को 6:21 बजे से 9:27 बजे तक
* महाशिवरात्रि दूसरे पहर की पूजा : 1 मार्च को रात्रि 9:27 बजे से 12:33 बजे तक
* महाशिवरात्रि तीसरे पहर की पूजा : 2 मार्च को रात्रि 12:33 बजे से सुबह 3:39 बजे तक
* महाशिवरात्रि चौथे पहर की पूजा : 2 मार्च 2022 को 3:39 बजे से 6: 45 बजे तक
* व्रत का पारण : 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 बजे के बाद
हिंदू पंचाग के अनुसार साल 2022 में महाशिवरात्रि तिथि 1 मार्च, मंगलवार सुबह 3:16 मिनट से शुरू होकर और चतुर्दशी तिथि का समापन 2 मार्च, बुधवार सुबह 10 बजे होगा।
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है। मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से गृहस्थ जीवन की ओर रुख किया था। महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं। मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है। महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर लें।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
शास्त्रों के मुताबिक शिवलिंग पर सबसे पहले पंचामृत अर्पित करना चाहिए। दूध, गंगाजल, केसर, शहद और जल के मिश्रण को पंचामृत करते हैं। महाशिवरात्रि पर जो लोग चार प्रहर की पूजा करते हैं, उन्हें पहले प्रहर में जल, दूसरे प्रहर में दही, तीसरे प्रहर में घी और चौथे प्रहर में शहद से अभिषेक करना चाहिए। फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि में से एक मानी जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें। फिर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें। पजून करें और अंत में आरती करें।