हिंदू धर्म में माघ मास का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। हर साल माघ मास में प्रयागराज में माघ मास मेला लगता है। सालभर लोगों को इस मेले का इंतज़ार रहता है। प्रयागराज को देश के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार माघ मास में सभी देवी देवता प्रयागराज में ही निवास करते हैं। इसके साथ माघ मास में पड़ने वाले मकर सक्रान्ति से ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रान्ति और मौनि अमावस्या के मौके पर संगम में स्नान और दान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि हर साल माघ मेले में दूर-दूर से बड़ी संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु आते हैं और ठंड के बावजूद एक महीने तक संगम के किनारे कठिन तप और साधना करते हैं।
कब लगता है माघ मास मेला
हर साल पौष पूर्णिमा से माघ मेला प्रारम्भ हो जाता है। इस बार माघ मेला जनवरी 2021 में शुरू होगा और 27 मार्च 2021 तक प्रयागराज में कल्पवास रहेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार जब संत-श्रद्धालु माघ मास में पुण्य प्राप्ति की कामना के लिए गंगा-यमुना के संगम स्थल पर माघ मास में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए पूरे तीस दिनों तक वास करते हैं तो उसे कल्पवास कहते हैं।
क्यों लगता है माघ मास मेला
माघ मास मेला की शुरुआत के पीछे कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने प्रयागराज को तीर्थस्थलों का राजा कहा था। इन्होंने गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर प्राकृष्ठ यज्ञ संपन्न किया था। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन में अमृत कलश के लिए युद्ध हुआ था तब देवराज इंद्र अमृत के कलश को बचाने के लिए चारों तरफ भागे थे। इससे अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिर गई थीं। फिर अमृत कलश को विष्णु जी को दिया गया। तभी से इन चारों जगहों पर स्नान करने का विशेष महत्व है।
कोरोना महामारी से बीच शुरू हुई तैयारी
ऐसा माना जा रहा था कि कोरोना के चलते 2021 में माघ मास मेला नहीं लगेगा। हालांकि, ऐसा नहीं है। इस बार भी मेले का आयोजन किया जाएगा और इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण माघ मेले का आयोजन हर वर्ष की तरह भव्य नहीं होगा और ना ही ज़्यादा महात्मा बुलाए जाएंगे। इसके साथ ही कोरोना महामारी के बीच माघ मेले में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए इस बार ज़्यादा संख्या में मेला सेक्टर बनेंगे और शिविरों को दूर-दूर बसाया जाएगा। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मेला क्षेत्र में कुल 12 अस्पताल स्थापित किए जाएंगे। जिनमें 20 बेड के दो तथा एक बेड के दस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होंगे। इसके अलावा 10 मोबाइल टीमें भी मौजूद रहेंगी। मेले में डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, एम्बुलेंस और दवाओं की जरूरत होगी। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड जांच की किस तरह की व्यवस्था होगी, इसके लिए सरकार की ओर से निर्णय लिया जाएगा।