हिंदू धर्म में सिद्धपीठ या शक्तिपीठ की मान्यता अधिक होती है। शक्तिपीठ के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। भक्तों के मन की मुराद सीधे भगवान तक पहुंचती है। ऐसा ही एक शक्तिपीठ पूर्णागिरी है। बता दें कि पूर्णागिरि शक्तिपीठ उत्तराखंड के टनकपुर शहर में स्थित है। यहां मां महाकाली की पूजा होती है।
मान्यता के अनुसार, जब भगवान श्रीहरि विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के पार्थिव शरीर को अलग-अलग भागों में बांटा था। कहा जाता है कि इस स्थान पर मां सती की नाभि गिरी थी। इसी वजह से यह जगह 108 सिद्धपीठ में से एक है। पूर्णागिरि को पुण्यगिरी के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णागिरी मंदिर नेपाल सीमा पर बसे चम्पावत जनपथ के दक्षिण भाग में आता है।
यह चीजें करें कैरी
कई बार जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो जल्दबाजी में कुछ जरूरी चीजें भूल जाते हैं। लेकिन आप पूर्णागिरी जाने का प्लान बना रहे हैं। तो इस यात्रा पर जाने से पहले आपको कुछ ऐसी जरूरी चीजें लेनी होती हैं। इस दौरान आप जरूरी सामान जैसे आधार कार्ड, कैश और दवाइयां रख लेनी चाहिए। क्योंकि सिग्नल कम होने पर यूपीआई आदि काम नहीं करता है। इसलिए यात्रा पर जाने से पहले जेब में थोड़ा सा कैश जरूर रख लें।
कम्फर्टेबल कपड़े और शूज
पूर्णागिरी की यात्रा में आपको 3 किमी की खड़ी चढ़ाई करनी होती है। ऐसे में कम्फर्टेबल कपड़े और साथ में शूज कैरी करने चाहिए। जिससे कि आपको यात्रा के दौरान किसी तरह की कोई दिक्कत न हो। कम्फर्टेबल कपड़े और शूज में आपको चढ़ाई करने में आसानी होगी। आप चाहें तो लूज कुर्ता भी पहन सकते हैं। इस कुर्ते के साथ आप शूज कैरी कर सकती हैं।
इस समय जाएं पूर्णागिरी धाम
ऐसे तो आप कभी भी पूर्णागिरि मंदिर कभी भी जा सकते हैं। लेकिन प्रयास करें कि गर्मी और बरसात के मौसम में यह यात्रा न करें। क्योंकि तेज धूप और गर्मी के कारण आपको 3 किमी की चढ़ाई करने में काफी मुश्किल होगी। वहीं बारिश के मौसम में पहाड़ी इलाका होने के कारण यह चढ़ाई काफी खतरनाक हो सकती है। इसलिए बारिश के बाद ही आप यहां पर दर्शन के लिए पहुंचे। इस दौरान पूर्णागिरी में भीड़ भी कम होती है और दर्शन भी काफी अच्छे से हो जाते हैं। पूर्णागिरि की मान्यता है कि यहां पर भक्त सच्चे मन से जो भी मांगता है। वह जरूर पूरा होता है। इसलिए आपको भी एक बार मां पूर्णागिरि के दर्शन के लिए जाना चाहिए।