चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। 25 मार्च यानि की आज नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कूष्मांडा का स्वरूप मां दुर्गा के सभी स्वरूपों मेंबहुत ही तेजस्वी है। वह सूर्य के समान तेज वाली हैं। कहा जाता है कि जब संसार में अंधकार छा गया था तो मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। मां कूष्मांडा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर बुद्धि का विकास होता है। इसके अलावा निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से भक्त निरन्तर आर्थिक ऊंचाइयों पर जाते हैं। वहीं यदि कोई लंबे समय से बीमारी से पीड़ित है तो उसे मां कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। आइए जानते हैं मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा विधि और मंत्र...
शुभ मुहूर्त
चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि शुरू - 23 मार्च 2023, शाम 06 बजकर 20 मिनट पर
चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त - 24 मार्च 2023, शाम 04 बजकर 59 मिनट तक
पूजन विधि
नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान आदि कर मां कूष्मांडा को नमन करें।
मां कूष्मांडा को हरा रंग अतिप्रिय है।
इसके बाद मां को जल व फूल अर्पित कर उनके स्वरूप का ध्यान करें।
पूजा के दौरान मां को फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं।
मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाना चाहिए।
इसके बाद परिवार के साथ मिलकर मां कूष्मांडा की आरती कर प्रसाद वितरित करें।
माता का मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।
महत्व
मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। मां कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। इनके इस स्वरूप की पूजा करने से मां अपने भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति देती हैं। जो लोग जीवन में प्रसिद्धि के इच्छुक होते हैं, उन्हें सच्चे मन और विधि-विधान से मां कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है की मां कूष्मांडा के पूजन से व्यक्ति दीर्घायु होता है।