होम
कुंडली
टैरो
अंक ज्योतिष
पंचांग
धर्म
वास्तु
हस्तरेखा
राशिफल
वीडियो
हिन्दी न्यूज़
CLOSE

Gayatri Chalisa: पापों का नाश करने वाली शक्ति हैं मां गायत्री, रोजाना गायत्री चालीसा का पाठ करने से सतगुणों की होगी प्राप्ति

By Astro panchang | Jul 23, 2024

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए उनकी पूजा करने का विधान है। वहीं चालीसा का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि चालीसा में बहुत शक्ति होती है और चालीसा का पाठ करना बेहद प्रभावशाली माना जाता है। कलियुग में मां गायत्री को पापों का नाश करने वाली शक्ति के रूप में देखा जाता है। जो भी जातक गायत्री चालीसा का पाठ करता है, उनको सतगुणों की प्राप्ति होती है।
 
गायत्री चालीसा का पाठ कर कामना करते हैं कि मां गायत्री हमारा कल्याण करेंगी और हमारे सभी दुखों और पापों का नाशकर दरिद्रता को दूर करेंगी। बता दें कि मां गायत्री को वेदों की देवी कहा जाता है। ऐसे में अगर आप भी मां गायत्री की कृपा और आशीर्वाद पाना चाहती हैं, तो रोजाना गायत्री चालीसा का पाठ करना चाहिए। 

गायत्री चालीसा

।।दोहा।।
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ।।
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ।।

॥ चालीसा ॥
भूर्भुवः स्वः ओम युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ।।

अक्षर चौबिस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ।।

शाश्वत सतोगुणी सतरुपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ।।

हंसारुढ़ सितम्बर धारी ।
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ।।

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ।।

ध्यान धरत पुलकित हिय होई ।
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ।।

कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अदभुत माया ।।

तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ।।

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ।।

तुम्हरी महिमा पारन पावें ।
जो शारद शत मुख गुण गावें ।।

चार वेद की मातु पुनीता ।
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ।।

महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोऊ गायत्री सम नाहीं ।।

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविघा नासै ।।

सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
काल रात्रि वरदा कल्यानी ।।

ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ।।

तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ।।

महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जै जै जै त्रिपदा भय हारी ।।

पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जग में आना ।।

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ।।

जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ।।

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ।।

ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ।।

सकलसृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ।।

मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पतकी भारी ।।

जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ।।

मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित है जावें ।।

दारिद मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुःख हरै भव भीरा ।।

गृह कलेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ।।

संतिति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपत्ति युत मोद मनावें ।।

भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ।।

जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ।।

घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥

जयति जयति जगदम्ब भवानी ।
तुम सम और दयालु न दानी ।।

जो सदगुरु सों दीक्षा पावें ।
सो साधन को सफल बनावें ।।

सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी ।
लहैं मनोरथ गृही विरागी ।।

अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ।।

ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी ।
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ।।

जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ।।

बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ ।
धन वैभव यश तेज उछाऊ ।।

सकल बढ़ें उपजे सुख नाना ।
जो यह पाठ करै धरि ध्याना ।।

॥ दोहा ॥
यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय ।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ।।
Copyright ©
Dwarikesh Informatics Limited. All Rights Reserved.