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Kuber Temple: देवभूमि उत्तराखंड में मौजूद है एक कुबेर मंदिर, चांदी के सिक्के से भक्त हो जाते हैं मालामाल, जानें इसका महत्व

By Astro panchang | Apr 27, 2023

भारत में यूं तो लाखों की तादात में मंदिर हैं। हर मंदिर का अपना रहस्य और अनोखा इतिहास होता है। आपने भी देश के अधिकतर मंदिरों के बारे में सुन रखा होगा। लेकिन आज हम आपको एक अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने भर से ही भक्तों की सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। बता दें यह मंदिर देवों की भूमि उत्तराखंड में है। देवभूमि उत्तराखंड से 40 किमी दूर जागेश्वर धाम में कुबेर मंदिर स्थित है।

इस मंदिर को जागेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में स्थित कुबेर का मंदिर हैं। भगवान कुबेर धन के देवता हैं और वह रावण के सौतेले भाई भी थे। आप सभी जानते हैं कि दिवाली और धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास और मान्यता के बारे में... 

मंदिर का इतिहास
देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थिति इस कुबेर मंदिर का इतिहास काफी दिलचस्प है। कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में किया गया था। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण 9वीं शाताब्दी में हुआ था। जबकि कई अन्य लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण 7वी शताब्दी से 14वीं शताब्दी के बीच कत्यूपी राजवंश के दौरान कराया गया था।

देश का छठा कुबेर मंदिर
आपको बता दें कि उत्ताराखंड के अल्मोड़ा में स्थिति यह मंदिर कुबेर का छठा मंदिर है। इस मंदिर में एकमुख शिवलिंग में कुबेर भगवान विराजमान हैं। यहां के पुजारियों का कहना है कि यह देश का सबसे प्राचीन कुबेर मंदिर है। यहां पर भगवान कुबेर को भगवान शंकर के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि जिस भी व्यक्ति पर भगवान कुबेर की कृपा हो जाती है, उसे कभी गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही उस व्यक्ति के पास धन-दौलत की कभी कमी नहीं होती है।

मंदिर की मान्यता 
यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में सभी व्यक्तियों की मनोकामनाएं पूरी होती है। खासतौर पर उन लोगों की जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को इस मंदिर से चांदी के सिक्के को मंत्र पढ़कर पीले कपड़े में लपेट कर दिया जाता है। वहीं जब किसी की मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वह भगवान कुबेर को खीर का भोग चढ़ाते हैं।

नहीं होती धन की कमी
मान्यता के अनुसार, जिन लोगों का कारोबार सही से नहीं चलता है, वह भी इस मंदिर में अपनी अर्जी लगाने के लिए पहुंचते हैं। एक अन्य मान्यता के मुताबिक जो भी व्यक्ति इस मंदिर के गर्भगृह की मिट्टी को अपने घर की तिजोरी में रखता है, उसके घर में कभी भी धन-दौलत की कमी नहीं होती है।

इस दिन होती है मंदिर में रौनक
धन के देवता कुबेर की दिवाली के दिन पूजा होती है। इसलिए दिवाली के दिन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। अगर आप भी इस मंदिर की असली रौनक देखना चाहते हैं। तो आपको यहां पर दिवाली और धनतेरस के बीच आना चाहिए। इस दौरान मंदिर को दुल्हन की भांति सजाया जाता है। साथ ही मंदिर में कई अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

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