भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भी एक है। बता दें कि यह देश का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। इस मंदिर के कई रहस्य और प्राचीन परंपराएं हैं। भोले बाबा के दर्शन के लिए दुनियाभर से श्रद्धालु यहां आते हैं। इन श्रद्धालुओं में कई बड़ी हस्तियां भी शामिल हैं। अभी हाल ही में महाकाल के दर्शन के लिए भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ उज्जैन पहुंचे थे। यह दोनों महाकाल की सुबह 4 बजे की आरती में भी शामिल हुआ था।
मान्यता के अनुसार, उज्जैन शहर करीब 5,000 साल पुराना है। समय-समय पर यह अवंती, अवंतिका, नंदिनी और अमरावती के नाम से जाना जाता है। महाकालेश्वर मंदिर से 1 या 2 नहीं बल्कि कई ऐसे तथ्य हैं। जिनको जानकर आप हैरान रह जाएंगे। आइए जानते हैं उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में...
कैसे प्रतिष्ठित हुए महाकाल
शिवपुराण की कथा के मुताबिक उज्जयिनी में दूषण नाम का राक्षस यहां के लोगों को काफी परेशान करता था। उस राक्षस से रक्षा प्राप्त करने के लिए लोगों ने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की। जिसके बाद राक्षस से नाराज भगवान शिव ने अपनी हुंकार से दूषण राक्षस को भस्म कर दिया। जिसके बाद भक्तों ने भगवान शिव से वहीं रुकने का आग्रह किया। इस मांग से अभिभूत होकर भगवान शिव लिंग के रूप में यहां पर प्रतिष्ठित हो गए।
क्यों कहते हैं मृत्युंजय महादेव
श्री महाकालेश्वर को पृथ्वी लोक का राजा कहते हैं। क्योंकि वह संहार, प्रलय और काल के देवता हैं। मृत्यु के मुंह में गए प्राणी को भी वह खींचकर वापस ले आते हैं। इसलिए उनको मृत्युंजय महादेव कहा जाता है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
ऐसे में आप भी जानना चाहते होंगे कि आखिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कितना पुराना है। तो बता दें कि शिव पुराण के मुताबिक, श्रीकृष्ण के पालक नंद से आठ पीढ़ी पहले महाकाल इस स्थान पर विराजित हुए थे। महाभारत में भी इस ज्योतिर्लिंग का जिक्र मिलता है। वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदिर को द्वापर युग में स्थापित किय गया था। इसको 800-1000 साल पुराना बताया जाता है।
महाकाल कई रूप में देते हैं दर्शन
उज्जैन में अपने भक्तों को महाकाल कई रूपों में दर्शन देते हैं। बता दें कि श्रावण मास में महाकाल राजाधिराज बनते हैं तो शिवरात्री पर उनका श्रृंगार दूल्हे के रूप में किया जाता है। दिवाली में महाकाल का आंगन दीपों से तो होली में उनका आंगन रंग और गुलाल से सजाया जाता है। हालांकि महाकाल जिस भी रूप में हों, वह अपने हर रूप से भक्तों को मोहित करते हैं।
उज्जैन के राजा हैं महाकाल
महाकाल को उज्जैन का राजा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उज्जैन में विक्रमादित्य के शासन के बाद से यहां पर कोई भी राजा रात भर भी नहीं टिक पाया। जिसने भी ऐसा करने का प्रयास भी किया तो उसकी अकस्मात मौत हो गईं। इसीलिए कोई भी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री उज्जैन में रात नहीं बिताते हैं।