जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि तिरुपति मंदिर में बाल दान करने की परंपरा काफी पुरानी है। यह भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक तिरुपति बालाजी मंदिर है। तिरुपति बालाजी का यह पवित्र धाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी को समर्पित है। माना जाता है कि इस मंदिर में एक बार दर्शन करने मात्र से ही जातक के सभी पापों का अंत हो जाता है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले की तिरुमाला पर्वत पर स्थित है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि तिरुपति मंदिर में बाल दान करने की परंपरा की शुरूआत कब और कैसे हुई।
एक समय की बात है कि भगवान वेंकटेश्वर नीलाद्रि पर्वत पर सो रहे थे। उसी समय देवी नीलाद्रि वहां पहुंची और उन्होंने देखा कि वेंकटेश्वर जी के सिर पर एक धब्बा है। इस धब्बे को ढकने के लिए उन्होंने अपने बालों को खींच लिया और उसे भगवान वेंकटेश्वर के सिर पर लगा दिया। जिससे कि उनकी सुंदरता और भी ज्यादा निखर सके। वहीं जब जगत के स्वामी उठे तो देखा कि उनके उस स्थान से खून निकल रहा है, जहां पर वह धब्बा था और दूसरी तरफ देवी नीलाद्री के सिर से भी खून निकल रहा है।
यह देखकर भगवान वेंकटेश्वर ने अपने बालों को वापस दे दिया। लेकिन देवी नीलाद्रि ने उसे स्वीकार नहीं किया और कहा कि भविष्य में भक्तों द्वारा बालों का दान किया जाएगा, जिससे उनके सभी कष्ट दूर होंगे। साथ ही श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।
तिरुपति बालाजी में क्यों दान किए जाते हैं बाल
वहीं दूसरी कथा के अनुसार, प्राचीन काल में भगवान बालाजी की मूर्ति पर चीटियों का पहाड़ बन गया। तब उस पहाड़ पर रोजाना एक गाय आती थी और वहां पर दूध देकर चली जाती थी। जिससे गाय का मालिक गुस्से में आ गया और उसने गाय को कुल्हाड़ी से मार दिया। गाय पर हुए इस हमले से बालाजी के सिर पर भी चोट आई और उनके सिर के बाल गिर गए। यह देखकर मां नीला देवी ने अपने सिर के बालों को भगवान वेंकटेश्वर जी के सिर पर रख दिए। इससे उनके सिर पर आई चोट सही हो गई।
ऐसा करने से भगवान वेंकटेश्वर काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि यह बाल शरीर की सुंदरता को पूर्ण करते हैं। वहीं आपने बिना सोचे मेरे लिए इन बालों का त्याग कर दिया। ऐसे में अब से यदि कोई भी भक्त अपने बालों का दान मेरे लिए करेगा, तो उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। तब से बालाजी में बाल दान करने की परंपरा की शुरूआत हुई। बता दें कि मंदिर में दान किए गए बालों की हेयर विग और हेयर एक्सटेंशन बनाए जाते हैं। जिसे बाद में बेच दिया जाता है। वहीं इनको बेचने से मिलने वाला पैसा मंदिर की चैरिटेबल चीजों में और लोगों की मदद में लगाया जाता है।