हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है रक्षाबंधन। रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का विश्वास का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है और उसकी लंबी आयु की प्रार्थना करती है। तो वही भाई भी बहन की रक्षा करने का वचन देता है भाई बहन का प्यार सदैव बना रहता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भद्रा काल में राखी या रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों नहीं मनाया जाता? बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि भद्रा शनिदेव की बहन है और भद्राकाल रक्षाबंधन के लिए बहुत ही अशुभ समय माना गया है। आइए जानते हैं ऐसे क्या कारण है जिसकी वजह से भद्रा काल में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता।
रक्षाबंधन की तारीख:
इस बार रक्षाबंधन 3 अगस्त को मनाई जाएगी। इस बार के रक्षाबंधन की खास बात यह है कि इस दिन सावन का आखिरी सोमवार भी है, साथी 3 अगस्त सावन की पूर्णिमा भी हैं। इस बार रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का संयोग भी बन रहा है जिसकी वजह से इस बार का रक्षाबंधन बहुत शुभ होने वाला है।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त:
राखी बांधने का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है कि उस समय भद्राकाल नहीं होना चाहिए। 3 अगस्त को भद्रा सुबह 9 बजकर 29 मिनट तक है। राखी का त्योहार सुबह 9 बजकर 30 मिनट से शुरू हो जाएगा. दोपहर को 1 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 35 मिनट तक बहुत ही अच्छा समय है। इसके बाद शाम को 7 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 9.30 के बीच में बहुत अच्छा मुहूर्त है।
रक्षाबंधन के दिन महासंयोग:
इस बार रक्षाबंधन के दिन बहुत ही अच्छे ग्रह नक्षत्रों का संयोग बन रहा है। इस रक्षाबंधन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सहयोग बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है इस संयोग में हर तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके अलावा इस दिन आयुष्मान दीर्घायु योग है, इस योग में भाई-बहन दोनों की आयु लंबी हो जाती है। 3 अगस्त को चंद्रमा का ही श्रवण नक्षत्र है। साथ ही मकर राशि के स्वामी शनि और सूर्य आपस मे समसप्तक योग बना रहे हैं। शनि और सूर्य दोनों आयु बढ़ाते हैं। ऐसा संयोग करीब 29 साल बाद पड़ रहा है।
आखिर भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी?
हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि भद्र काल में राखी नहीं बांधी जाती लेकिन आज तक हमने यह जानने की कोशिश नहीं की होगी फिर आखिर भद्रा काल क्या है जिसमें इसमें राखी नहीं बांधी जाती है? क्यों यह रक्षाबंधन के लिए अशुभ होता है? काफी लंबे समय से ऐसा कहा जाता आ रहा है कि रावण की बहन सूप नखा ने भद्रा काल में भी अपने भाई रावण को राखी बांधी थी। जिसके कारण रावण का हमेशा हमेशा के लिए विनाश होता चला गया, यानी कि रावण का अहित हुआ। इसी वजह से हमारे बड़े बुजुर्ग कहते आ रहे हैं भद्रा काल में राखी नहीं बधनी चाहिए। यह भाई बहन के रिश्ते के लिए बहुत ही अशुभ समय माना जाता है।
इस काल में शिव जी करते हैं तांडव:
सभी को पता है कि महादेव गुस्से में आते हैं तो है तांडव करते हैं। कई पुराणों में जिक्र किया गया है कि भद्रा के वक्त भगवान शिव तांडव करते हैं और वह काफी गुस्से में भी होते हैं। ऐसे में अगर उस समय किसी भी तरह का शुभ काम किया जाए तो वह कभी भी सफल नहीं हो सकता। साथ ही इस काल में शुभ काम करने वाले व्यक्ति को महादेव के गुस्से का सामना करना पड़ता है और उसका अच्छे से अच्छा काम भी बिगड़ जाता है।