हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत की विशेष महत्त्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। इस प्रकार हर महीने दो और साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। इस महीने (अप्रैल 2021) का पहला प्रदोष 09 अप्रैल (शुक्रवार) को रखा जाएगा। शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और गणेशजी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है और जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है। जिन कन्याओं के विवाह में बाधा आ रही हो उनके लिए भी प्रदोष व्रत रखना शुभ होता है। प्रदोष व्रत रखने से मनचाहे वर की इच्छा पूरी होती है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत यदि नियम और पूजा विधि के अनुसार ना किया जाए तो व्रत का पुण्य नहीं मिलता। आज के इस लेख में हम आपको प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और इसके नियम बताने जा रहे हैं -
प्रदोष व्रत अप्रैल 2021 शुभ मुहूर्त
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि आरंभ - 9 अप्रैल (शुक्रवार) को प्रात: 3 बजकर 15 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त - 10 अप्रैल (शनिवार) को प्रात: 4 बजकर 27 मिनट पर
पूजा मुहूर्त
पूजा का समय - 9 अप्रैल को सांय 5 बजकर 55 मिनट से लेकर 8 बजकर 12 मिनट तक।
प्रदोष व्रत के नियम
- प्रदोष व्रत वाले सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए।
- इस दिन स्वच्छ और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
- इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। प्रदोष व्रत में 24 घंटे तक कुछ नहीं खाना होता है। हालांकि, अगर फलहार करना हो तो सूर्यास्त के बाद पूजा करने के बाद फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
- इस व्रत में अन्न, लाल मिर्च, चावल और सादे नमक का सेवन नहीं किया जाता है।
- प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा करने के बाद दूध का सेवन करके व्रत पूरा करें।
- हिन्दू धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- प्रदोष व्रत में बुरे कर्मों से बचना चाहिए और अपने मुंह से कोई अपशब्द ना निकालें।
- प्रदोष व्रत में शाम को पूजा की जाती है इसलिए सूर्यास्त के बाद स्नान करके पूजन करें।