भारत में हर वर्ष अनेक प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। हिंदू धर्म के लोग हो या मुस्लिम धर्म के या अन्य किसी धर्म के हर किसी का त्योहार बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है और सभी लोग अपने त्यौहार को बहुत ही खुशी और उल्लास के साथ मनाते हैं। हर धर्म के लिए एक महीना होता है जो उनके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। उसी तरह हिंदू धर्म के लिए मलमास का महीना बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे अधिकमास के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि इस साल यानी 2020 में मलमास पर 160 साल बाद शुभ संयोग बन रहा है। भारतीय कैलेंडर के अनुसार मलमास 18 सितंबर 2020 से आरंभ हो रहा है और 16 अक्टूबर 2020 को खत्म होगा। 17 अक्टूबर से शरदीय नवरात्रि का पर्व आरंभ हो जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि अधिकमास के अधिपति स्वामी भगवान श्री विष्णु हैं और पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है, इसलिए अधिकमास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही हम आपको बता दें कि इस मास में कोई भी शुभ या नया कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
यह मास धर्म-कर्म के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है। इस मास की खास बात यह है कि इसकी कथा विष्णु के अवतार नृःसिंह भगवान और श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। इसी वजह से इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस माह में उक्त दोनों भगवान की पूजा करना चाहिए। पुरुषोत्तम भगवान का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। यदि आप इस मास का अच्छा फल पाना चाहते हैं साथ ही आप चाहते हैं कि आपके ऊपर भगवान विष्णु और कृष्ण की कृपा सदैव बनी रहे तो आपको इस मास में श्रीमद्भागवत गीता में पुरुषोत्तम मास का महामात्य, श्रीराम कथा वाचन, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ का वाचन और गीता के पुरुषोत्तम नाम के 14वें अध्याय का नित्य अर्थ सहित पाठ करना चाहिए। यदि आप काफी व्यस्त रहते हैं और आपके पास ज्यादा समय नहीं है तो आप भगवान के 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय', इस द्वादशाक्षर मन्त्र का प्रतिदिन 108 बार जप कर सकते हैं।
इस माह में आप जप तप के अलावा व्रत भी रख सकते हैं। यह भी इस त्यौहार को मनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस मास में व्रत रखता है तो वह पूरे मास एक समय ही भोजन कर सकता है जोकि हमारी आध्यात्मिक और सेहत की दृष्टि से काफी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। भोजन में गेहूं, चावल, जौ, मूंग, तिल, बथुआ, मटर, चौलाई, ककड़ी, केला, आंवला, दूध, दही, घी, आम, हर्रे, पीपल, जीरा, सोंठ, सेंधा नमक, इमली, पान-सुपारी, कटहल, शहतूत , मेथी आदि खाने का विधान हैं। इस मास में भगवान विष्णु ने अपनी कई तरह की महिलाएं दिखाई थी साथ ही आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मास में भगवान के दीपदान और ध्वजादान की भी बहुत महिमा है। यदि आप इस मास में किसी की मदद करते हैं या दान दक्षिणा करते हैं तो इसका फल आपको सदैव मिलता है। इस मास में दान पूर्ण करना बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है। पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान और दान करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं और हर प्रकार के कष्ट और परेशानियां हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं। इस मास में कई विशेष संस्कार किए जाते हैं जैसे कि रोग निवृत्ति के अनुष्ठान, ऋण चुकाने का कार्य, शल्य क्रिया, संतान के जन्म संबंधी कर्म, सूरज जलवा ,गर्भाधान, पुंसवन, सीमांत इत्यादि। इस मास में आप किसी भी तरह का कार्य कर सकते हैं। आप चाहे तो इस माह में यात्रा कर सकते हैं। साझेदारी का कोई भी कार्य कर सकते हैं। मुकदमा लगाना, बीज बोना, वृक्ष लगाना, दान लगाना, सार्वजनिक हित के कार्य सेवा करने वाले किसी भी प्रकार का काम आप बिना डरे या बिना झिझके कर सकते हैं।
क्या नहीं करें
1.इस पुरुषोत्तमा में आपको कई तरह की चीजों का ध्यान रखना होगा जैसे कि आप किसी भी प्रकार का व्यसन ना करें। साथ ही आप मांसाहार जैसी चीजों का सेवन बिल्कुल भी ना करें, जितना हो सके आप इन सब चीजों से दूरी बनाए रखें। इसके अलावा आपको कई चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे कि मांस शहद, चावल का मांड़, उड़द, राई, मसूर, मूली, प्याज, लहसुन, बासी अन्न, नशीले पदार्थ इत्यादि।
2.साथ ही आप इस माह में विवाह, नामकरण, अष्टाकादि श्राद्ध, तिलक, मुंडन, यज्ञोपवीत, कर्णछेदन, गृह प्रवेश, देव-प्रतिष्ठा, संन्यास अथवा शिष्य दीक्षा लेना, यज्ञ, इत्यादि जैसे शुभ काम बिल्कुल भी न करें। आपको शुभ कर्मों और मंगल कार्यों से थोड़ा बचाव करना है। जब यह माह खत्म हो जाए उसके बाद आप इन सभी कार्यों का शुभारंभ कर सकते हैं।
3.साथ ही आपको ध्यान रखना है कि इस महीने में आपको किसी भी नई वस्तु को नहीं खरीदना है जैसे कि घर दुकान, आभूषण वस्त्र, वाहन इत्यादि की खरीदारी से आपको थोड़ी दूरी बनाकर रखनी चाहिए। लेकिन यदि इस माह में कोई शुभ मुहूर्त निकले तो आप ज्योतिषी की सलाह से किसी भी तरह का आभूषण या गहने खरीद सकते हैं।
4.इस मास में आपको कई सारी खास बातों का ध्यान रखना है साथ ही यदि आप इस मास में व्रत रखने वाले हैं तो आपको ध्यान रखना होगा कि आप किसी भी व्यक्ति को अपशब्द ना बोलें, आप किसी भी ग्रह कलेश में ना पड़े, क्रोध, असत्य, भाषण और समागम इत्यादि कार्य से आप दूरी बनाकर रखें।