धार्मिक ग्रंथों में मानस पूजा को सबसे उत्तम बताया है। शास्त्रों के अनुसार यह पूजा सबसे अच्छी विधि है। आइये जानते है क्या है मानस पूजा और इसकी विधि-
किसी भी पूजा में आप कितनी भी सामग्री अर्पित कर लें कितने भी जाप कर लें अगर आप मन और भाव से पूजा नहीं करते तो उसका फल नहीं प्राप्त होता है। कहते हैं भगवान भाव के भूखे होते हैं भौतिक वस्तुओं के नहीं, मानस पूजा में प्रभु की आराधना भावना से की जाती है। मानस पूजा में अपने इष्टदेव को श्रद्धा और भक्ति अर्पित की जाती है।
क्या है मानस पूजा
मानस पूजा में सच्ची श्रद्धा और भक्ति की आवश्यकता होती है। मानस पूजा में भक्त अपने इष्टदेव को मन ही मन स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान करता है उन्हें मोतियों और मणियों की माला समर्पित करता है भावना से गंगा जल से प्रभु को स्नान कराता है अलौकिक आभूषण और वस्त्र समर्पित करता है सुगन्धि का अनुलेपन करता है, इष्टदेव को स्वर्ण कमल अर्पित करता है। इसके पश्चात भावना से अमृत के समान नैवेद्य और धुप दीप समर्पित करता है। और तीनों लोकों में उपस्थित सभी पूजा योग्य वस्तुओं को श्री भगवान को समर्पित करता है। इस तरह बिना किसी भौतिक वस्तु मानस पूजा संपन्न की जाती हैं। इसके पश्चात भक्त भगवान से मन ही मन पूजा में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मांगता है।
मानस पूजा की विधि पुराणों के अनुसार
- हे प्रभु मै आपको पृथ्वी रूपी गंध समर्पित करता हूँ।
- हे प्रभु मै आपको आकाशरूपी पुष्प अर्पित करता हूँ।
- हे प्रभु मै आपको वायु रूपी धूप अर्पित करता हूँ।
- हे प्रभु मै आपको अग्नि रूपी दीप अर्पित करता हूँ।
- हे प्रभु मै आपको अमृत रूपी नैवेद्य का निवेदन करता हूँ ।
- हे प्रभु मै आपको संसार में उपस्थित सभी उपचारों को अर्पित करता हूँ।
मानस पूजा से लाभ
मानस पूजा से आपको मानसिक शांति मिलती है और अपने इष्टदेव से सानिध्य की अनुभूति होती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार मानस पूजा का फल कई हजार गुना होकर मिलता है। मानस पूजा से आपको सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और आध्यमिकता की अनुभूति होती है।