होम
कुंडली
टैरो
अंक ज्योतिष
पंचांग
धर्म
वास्तु
हस्तरेखा
राशिफल
वीडियो
हिन्दी न्यूज़
CLOSE

इस बार जन्माष्टमी पर बन रहा है बेहद शुभ योग, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

By Astro panchang | Aug 21, 2021

जन्माष्टमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को हुआ था। इस बार जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त (रविवार) को मनाया जाएगा। देशभर में यह पर्व बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते है और व्रत भी रखते हैं। जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे भगवान का जन्म होने पर विशेष पूजा होती है। ज्योतिषगणना के अनुसार इस बार जन्माष्टमी पर भाद्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र है और चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान है। इसके साथ ही दिन सोमवार है। शास्त्रों के अनुसार, यह सभी योग एक साथ बनना बेहद दुर्लभ है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। आज के इस लेख में हम आपको जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा करने की विधि बताएंगे -   

शुभ मुहूर्त-
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 29 अगस्त (रविवार) को रात 11 बजकर 25 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त-  30 अगस्त (सोमवार) को देर रात 01 बजकर 59 मिनट पर होगा।

जन्माष्टमी पर इस विधि से करें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा 
जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और सभी देवों को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर मुख होकर आसन ग्रहण करें। 

इसके बाद हाथ में जल, फल, कुश और गंध लेकर पूजा और व्रत का संकल्प लें।

सुबह की पूजा के बाद दोपहर में माता देवकी की पूजा करें। इसके लिए दोपहर में जल में काले तिल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद माता देवकी के लिए 'सूतिकागृह' बनाएं।

इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर इस पर भगवान कृष्ण की मूर्ति रखें। अगर आपके घर में लड्डू गोपाल हैं तो उनकी प्रतिमा भी चौकी पर रखें। 

अब लड्डू गोपाल को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाएं और साफ वस्त्र पहनाएं। इसके बाद लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें। 

अब धूप-दीप, नैवेद्य, पुष्प, अक्षत, चंदन, रोली आदि सारी पूजन सामग्री से भगवान की पूजा करें। 

भगवान को प्रसाद में धनिया की पंजीरी, माखन-मिश्री और फल-मिठाई चढ़ाएं।

भगवान के जन्म के बाद उन्हें पालना जरूर झुलाएं।  

अंत में भगवान को भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें और भजन-कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण करें।
Copyright ©
Dwarikesh Informatics Limited. All Rights Reserved.