हिंदू पंचांग के अनुसार संक्रांति का विशेष महत्त्व है। हर माह में एक संक्रांति पड़ती है। पंचांग के अनुसार वर्ष की आखिरी संक्रांति को मीन संक्रांति कहा जाता है। हर माह सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। जब सूर्यदेव कुंभ राशि से गुरु की मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस अवस्था को सूर्य की मीन संक्रांति कहा जाता है। इस बार मीन संक्रांति 14 मार्च 2021 (रविवार) है। इसी के साथ मलमास शुरू हो जाएगा। मीन संक्रांति पर दान करने का बहुत महत्व माना गया है। मीन संक्रांति पर सूर्य की पूजा और पवित्र नदियों में स्नान करना फलदायी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य धनु एवं मीन में भ्रमण करते हैं या धनु व मीन संक्रांति होती है तो वह मलमास कहलाती है। मीन संक्रांति में मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। मलमास में नामकरण, अन्न प्राशन, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, गृह प्रवेश तथा वास्तु पूजन आदि मांगलिक कार्यों को वर्जित माना जाता है।
मीन संक्रांति के दिन दान का शुभ मुहूर्त-
मीन संक्रांति के दिन पुण्य काल का समय- शाम 06 बजकर 18 मिनट से 06 बजकर 29 मिनट तक।
पुण्य काल की अवधि- 11 मिनट
मीन संक्रांति की पूजा विधि
- मीन संक्रांति के दिन प्रातः सूर्योदय के समय किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि किसी नदी पर स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान करने का बाद सूर्यदेव को प्रणाम करके उन्हें अर्घ्य दें।
- मीन संक्रांति के दिन मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करें। यदि मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर पर धूप, दीप, फल, फूल, मिष्ठान आदि से भगवान की पूजा करें।
- पूजा करने के पश्चात ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र आदि दान करें।
- मीन संक्रांति के दिन जप-आदि करने का विशेष महत्व है। इस दिन अपने ईष्टदेव की पूजा करनी चाहिए।