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इस दिन से शुरू होगा खरमास 2021, जानें इस दौरान क्यों नहीं किये जाते शादी-विवाह जैसे शुभ कार्य

By Astro panchang | Dec 01, 2021

हिन्दू धर्म में खरमास का एक विशेष महत्व है। हर साल मार्गशीर्ष माह और पौष माह के बीच में खरमास लगता है। इस साल खरमास के महीने की शुरुआत 16 दिसंबर से होगी। 14 जनवरी के दिन इसका समापन होगा। हिन्दू धर्म में मांगलिक और धार्मिक कार्य शुभ मुहूर्त देख कर ही किये जाते हैं। लेकिन खरमास या मलमास के दौरान मांगलिक कार्य जैसे शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन आदि कार्य करना वर्जित माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार खरमास में सूर्य धीमी चाल चलता है इसलिए इस दौरान किये गए किसी भी कार्य का शुभ फल नहीं मिलता है।

कैसे लगता है खरमास
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नौ ग्रह बताए गए हैं, इनमें से राहु-केतु को छोड़कर सभी ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में घूमते रहते हैं। सभी ग्रह वक्री और मार्गी दोनों चाल चलते हैं, लेकिन सूर्य एक ऐसा ग्रह है जो हमेशा मार्गी रहता है और हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। इसी तरह से जब सूर्य बृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो बृहस्पति का तेज समाप्त हो जाता है। बृहस्पति को विवाह और वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है। इसलिए सूर्य के बृहस्पति की राशियों में प्रवेश करने पर खरमास लगता है।

खरमास में नहीं करने चाहिए यह कार्य
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार खरमास का समय पूजा-पाठ के लिए तो शुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। इस दौरान हिंदू धर्म में शुभ माने जाने वाले संस्कार, जैसे मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत, नामकरण, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार का आरंभ, वधू प्रवेश, सगाई, विवाह आदि कोई भी कार्य नहीं किये जाते हैं। 

खरमास की पौराणिक कथा
खरमास को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते है। सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है। लेकिन रथ में जुड़े घोड़े लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण थक जाते हैं। घोड़ों की ऐसी हालत देखकर सूर्यदेव का मन भी एक बार द्रवित हो गया। वह घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए। लेकिन सूर्यदेव को तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन जब वे तालाब के पास पहुंचे तो देखा कि वहां दो खर मौजूद हैं। भगवान सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम देने के लिए वहां छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में जोड़ लिया। गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही थी। इस दौरान रथ की गति हल्की हो जाती है। इस दौरान जैसे-तैसे सूर्यदेव इस दौरान एक मास का चक्र पूरा करते हैं। इस बीच घोड़े भी​ विश्राम कर चुके होते हैं। इसके बाद सूर्य का रथ फिर से अपनी गति में लौट आता है। इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है। इसीलिए हर साल खरमास लगता है।

दिसंबर महीने में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों की लिस्ट
2 दिसंबर, गुरुवार– प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि
4 दिसंबर, शनिवार– स्नानदान श्राद्ध अमावस्या
5 दिसंबर, रविवार– चंद्रदर्शन
7 दिसंबर, मंगलवार– विनायकी चतुर्थी व्रत
8 दिसंबर, बुधवार– नाग दिवाली, विवाह पंचमी, श्रीराम विवाहोत्सव
9 दिसंबर, गुरुवार– बैंगन छठ, चंपाषष्ठी
10 दिसंबर, शुक्रवार– नंदा सप्तमी
14 दिसंबर, मंगलवार– मोक्षदा एकादशी
16 दिसंबर, गुरुवार– धनु संक्रांति, अनंग त्रयोदशी, प्रदोष व्रत, खरमास प्रारंभ
17 दिसंबर, शुक्रवार– पिशाचमोचनी यात्रा
18 दिसंबर, शनिवार– स्नान दान व्रत, दत्त पूर्णिमा
19 दिसंबर, रविवार– स्नान दान पूर्णिमा
22 दिसंबर, बुधवार– गणेश चतुर्थी व्रत
27 दिसंबर, सोमवार– रुकमणी अष्टमी, अष्टका श्राद्ध
30 दिसंबर, गुरुवार– सफला एकादशी व्रत
31 दिसंबर, शुक्रवार– सुरुप द्वादशी, प्रदोष व्रत
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