भगवान भोलेनाथ के अनेक रूप हैं, उन्हीं में से भगवान शिव का एक स्वरूप काल भैरव का है। इन्हें भगवान शिव का उग्र स्वरूप माना जाता है। बता दें कि भैरव का अर्थ भय को हरने वाला होता है। उनका यह स्वरूप काल का स्वामी और सदैव रौद्र रूप में होता है। शिव पुराण के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और शिव में श्रेष्ठता को लेकर हुए विवाद के बाद काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। इसके साथ ही काल भैरव को दंड का पाणी भी कहा जाता है। क्योंकि वह पापियों को दंड देते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि भगवान काल भैरव ने एक बार ब्रह्म देव के पांचवे सिर को काट दिया था। जिसकी वजह से उन पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया था। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए काल भैरव ने त्रिलोक में भ्रमण किया और जब वह काशी पहुंचे तब जाकर वह पाप मुक्त हुए। काल भैरव की पूजा न सिर्फ भारत बल्कि नेपाल, श्रीलंका और तिब्बत जैसे कई देशों में होती है। ऐसे में अगर आप भी भगवान काल भैरव की पूजा करना चाहते हैं, उनकी कृपा और आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो देश के सबसे फेमस और प्राचीन मंदिरों में दर्शन के लिए जा सकते हैं।
काल भैरव मंदिर, उज्जैन
मध्यप्रदेश के उज्जैन में भगवान शिव का प्राचीन और फेमस ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है। इस जगह पर भगवान शिव काल भैरव स्वरूप भी विराजते हैं। उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर को राजा भद्रसेन ने शिप्रा नदी के किनारे बनवाया था। यह अष्ट भैरव में यह प्रमुख काल भैरव मंदिर है। काल भैरव 'काशी का कोतवाल' भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि काल भैरव की अनुमति के बिना कोई भी काशी में प्रवेश नहीं कर सकता है। इसलिए काशी विश्वनाथ के दर्शन से पहले भक्त काल भैरव के मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं और काशी के कोतवाल से अनुमति लेते हैं।
आनंद भैरव मंदिर
आनंद भैरव मंदिर हरिद्वार में स्थित है। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। धार्मिक मान्यता है कि आनंद भैरव मंदिर हरिद्वार के कोतवाल हैं। यहां श्रद्धालु अपनी परेशानियां बताते हैं और भगवान आनंद भैरव अपने भक्तों की सभी बाधाओं को दूर करते हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर अनादि काल से हैं। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू का है। आनंद भैरव, भगवान शिव का सबसे आनंदमयी रूप है।
बाजनामठ भैरव मंदिर, जबलपुर
मध्यप्रदेश के जबलपुर में बाजना मठ मंदिर के पास महाकाल भैरव का मंदिर है। यहां पर होने वाले हवन की अग्नि में कई देवी-देवताओं की आकृति दिखती है। यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी जाना जाता है। बताया जाता है कि रानी दुर्गावती द्वारा गोंडवाना काल के दौरान मंदिर में प्रतिमा की स्थापना की गई थी। इस मंदिर के पुजारी के मुताबिक मंदिर परिसर में महाकाल भैरव के हवन के समय जिस भी देवता के नाम की यज्ञकुंड में आहुति दी जाती है, अग्नि में उस देवता की आकृति उबरती है। धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर 24 घंटे में महाकाल भैरव 52 बार रूप बदलते हैं।
राजा बटुक भैरव
बता दें कि लखनऊ के कैसरबाग में राजा बटुक भैरव मंदिर स्थित है। बताया जाता है कि इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है और इनको सुरों का राजा भी कहा जाता है। बताया जाता है कि यहां पर मांगने वाली मन्नत भी संगीत, साधना और कला से जुड़ी होती है। बटुक बाबा भगवान शिव के 5वें अवतार माने जाते हैं और यह मंदिर कला साधना का वर्षों पुराना केंद्र है।