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सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध करने से मिलता है पूरे पितृपक्ष का फल, जानें 2020 में कब है सर्वपितृ अमावस्या, क्या है इसका महत्व और श्राद्ध करने की विधि

By Astro panchang | Sep 07, 2020

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास की कृष्‍ण पक्ष की अंतिम तिथि को सर्व पितृ अमावस्‍या कहा जाता है। इसे महालया या मोक्षदायनी अमावस्या भी कहा जाता है। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस बार सर्वपितृ अमावस्या 17 सितंबर 2020 को है। शास्त्रों के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितर धरती लोक से विदा लेते हैं और इस दिन पिंडदान और तर्पण करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज के इस लेख में हम आपको सर्वपितृ अमावस्या के महत्व और इस दिन श्राद्ध करने की विधि के बारे में बताएंगे - 

सर्व पितृ अमावस्‍या का महत्‍व
हिन्दू धर्म में पितृपक्ष की अमावस्या यानी सर्व पिृत अमावस्‍या का विशेष महत्त्व है। शास्त्रों के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से विशेष फल प्राप्त होता है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। सर्वपितृ अमावस्या के बारे में यह मान्यता भी है कि यदि पितृपक्ष में श्राद्ध तिथि वाले दिन श्राद्ध ना कर पाए हों तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध-तर्पण करने से बीते 14 दिनों का पुण्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही जिन पितरों की मृत्यु तिथि के बारे में ना पता हो उनका श्राद्ध भी सर्वपितृ अमावस्या के दिन कर सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध-तर्पण करने से वे खुशी-खुशी विदा होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। इस दिन श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मणों और गरीबों को दान-दक्षिणा देने से और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। 

सर्व पितृ अमावस्‍या के दिन श्राद्ध करने की विधि 
सर्व पितृ अमावस्‍या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर लें। श्राद्ध करते समय सफेद वस्त्र ही धारण करें। 
अब गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें। 
पितृपक्ष में हर दिन पितरों का तर्पण करना चाहिए। इसके लिए पानी में दूध, काले तिल, शहद और जौ मिला मिला कर तर्पण करें। 
सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध और पिंडदान करने के लिए किसी पंडित-पुरोहित को बुला सकते हैं। 
श्राद्ध के दिन पितरों की पसंद का सात्त्विक भोजन बनाएं और उनका स्मरण करें ताकि वे भोजन प्राप्त करके तृप्त हो सकें। श्राद्ध करने के बाद पितरों की आत्मा की शांति की कामना करें।
पिंड दान और तर्पण करने के बाद पंडित या किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
श्राद्ध के दिन गाय, कौए, कुत्ते या चींटी को भोजन कराने से पुण्य मिलता है।
इस दिन किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को चावल, दाल, चीनी, नमक, मसाले, कच्ची सब्जियां, तेल और मौसमी फल आदि दान करना चाहिए। 
ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद पितरों के प्रति आभार प्रकट करें और जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद अपने पूरे परिवार के साथ बैठ कर भोजन करें। 
सर्वपितृ अमावस्या को शाम के समय 2, 5 या 16 दीप भी जलाएं।
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