होम
कुंडली
टैरो
अंक ज्योतिष
पंचांग
धर्म
वास्तु
हस्तरेखा
राशिफल
वीडियो
हिन्दी न्यूज़
CLOSE

Badrinath Dham: कैसे पड़ा भगवान विष्णु के इस मंदिर का नाम बद्रीनाथ, यहां पढ़ें पौराणिक कहानी

By Astro panchang | Jun 18, 2024

उत्तराखंड राज्य में स्थित बद्रीनाथ धाम चार धामों में से एक है। अलकनंदा नदी के तट पर स्थित बद्रीनाथ धाम भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर को भारत के चार धामों में से एक है। बता दें कि बद्रीनाथ धाम मंदिर के दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। बद्रीनाथ धाम मंदिर काले पत्थरों से बना हैं और इस मंदिर में भगवान विष्णु की एक शालिग्राम मूर्ति स्थापित है।

बताया जाता है कि 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था। बद्रीनाथ धाम तक जाने के लिए एक कठिन यात्रा तय करनी पड़ती है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस मंदिर का नाम बद्रीनाथ धाम कैसे पड़ा। अगर आपको इसका जवाब नहीं पता है, तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इसके पीछे की एक रोचक कहानी बताने जा रहे हैं।

जानिए अखंड ज्योति का महत्व
बद्रीनाथ मंदिर में एक अखंड ज्योति जलती है, जिसको भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। चाहे कैसा मौसम हो या कोई आपदा क्यों न आ जाए, लेकिन बद्रीनाथ धाम में यह ज्योति हमेशा जलती रहती है। बताया जाता है कि इस धाम में जलने वाले यह ज्योति 5000 साल से भी अधिक पुरानी है। इस अखंड ज्योति का निर्माण पांच प्रकार की लकड़ी, घी, कपूर, दालचीनी और लौंग से होता है। वहीं इस ज्योति को भगवान विष्णु के प्रकाश का प्रतीक मानी जाती है।

यह ज्योति दर्शाती है कि चाहे कितनी ही मुश्किल क्यों न आ जाए, लेकिन भगवान विष्णु हमेशा अपने भक्तों के साथ हैं। बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने वाले भक्त मंदिर में श्रीहरि के दर्शन के बाद अखंड ज्योति के दर्शन करने आते हैं। मान्यता के अनुसार इस ज्योति के दर्शन करने से मन को शांति मिलती है और जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

ऐसे कहलाया बद्रीनाथ धाम 
पौराणिक कथा के मुताबिक सतयुग में तपस्या करने के लिए भगवान विष्णु ने बद्रीनाथ धाम का चयन किया था। वहीं मां लक्ष्मी भी भगवान विष्णु के साथ रहना चाहती थी। लेकिन देवताओं के नियम के अनुसार, उनको मनुष्यों की दुनिया में रहना पड़ता था। तब भगवान विष्णु की रक्षा के लिए मां लक्ष्मी ने बद्री वृक्ष का रूप धारण कर लिया।
 
भगवान विष्णु मां लक्ष्मी के त्याग और प्रेम से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि वह बद्रीनाथ धाम में उनके साथ ही रहेंगी और मंदिर आने वाले श्रद्धालु उनकी भी पूजा करेंगे। इसी वजह से इस मंदिर का नाम बद्रीनाथ धाम पड़ा। दरअसल, 'बद्री' का अर्थ वृक्ष और 'नाथ' का नाम भगवान का आशय है।
Copyright ©
Dwarikesh Informatics Limited. All Rights Reserved.